नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा विवाद, हांगकांग, ताइवान और साउथ चाइना सी में दादागिरी जैसे मुद्दों पर चीन की पूरे विश्व में कड़ी आलोचना हो रही है। यूरोप दौरे पर गए चीन के विदेश मंत्री वांग यी को बीते दिनों इस सब के लिए काफी कड़े संदेश मिले हैं।
चीन के सभी प्रमुख देशों से रिश्ते ख़राब होते देख अब खुद राष्ट्रपति शी जिनपिंग मैदान में उतरे हैं। खबरों के मुताबिक डैमेज कंट्रोल के लिए जिनपिंग ने सोमवार को खुद जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल के अलावा यूरोपीय यूनियन के कई नेताओं के साथ फोन पर बातचीत कर अपना पक्ष रखा है।
चीन के मुताबिक ये बातचीत काफी सार्थक रही है और इस दौरान चीन और यूरोपीय यूनियन के बीच व्यापार, निवेश समझौते पर चर्चा की गति तेज करने पर सहमति बनी है। इन फोन कॉल्स में जिनपिंग ने यूरोपीय यूनियन से संबंधों को नुकसान पहुंचा रहे राजनीतिक मुद्दों से निपटने और विश्वास बहाली जैसे विषयों पर भी बातचीत की है।
बता दें कि यूरोपीय संघ भले ही चीन का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है, लेकिन इससे जुड़े 27 देशों का बीजिंग को लेकर अलग-अलग नजरिया है और वे चीन को प्रतिद्वंद्वी के रूप में भी देखते हैं। इस समय यूरोपीय संघ की क्रमिक अध्यक्षता कर रहीं मार्केल का परिषद अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल, आयोग अध्यक्ष उर्सुला वोन डेर लेयेन और संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेफ बोरेल ने समर्थन किया है।
हांगकांग में हाल में लागू किया गया चीन का नया कानून यूरोपीय संघ को रास नहीं आया है। इसका कहना है कि यह कानून क्षेत्रीय स्वायत्तता को कमतर करता है। कई देशों ने हॉन्ग कॉन्ग के साथ अपने संबंधो को कम भी किया है, जिसमें जर्मनी और फ्रांस प्रमुख हैं।
बर्लिन में चेक रिपब्लिक के सीनेट के अध्यक्ष मिलोस वीसट्रिसिल की ताइवान यात्रा को लेकर चीनी विदेश मंत्री वांग ने भारी कीमत चुकाने की चेतावनी दी थी, जिसके तुरंत बाद उसी सभा में बर्लिन के विदेश मंत्री ने वांग यी को टोकते हुए कहा था कि वह अपने मंच का किसी यूरोपीय देश के खिलाफ उपयोग होने नहीं देंगे। उन्होंने चेक रिपब्लिक के साथ जर्मनी की एकता को भी प्रदर्शित किया था।
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