डेस्क: झारखंड (Jharkhand) के 81 विधानसभा सीटों (Assembly Seats) के लिए दो चरणों में मतदान (Voting) संपन्न हो गया है. इस बार के चुनाव के बाद किसकी सरकार (Goverment) बन रही है इसकी जानकारी अब 23 नवंबर को परिणाम सामने आने के बाद ही पता चलेगी. हालांकि, इस बार के विधानसभा चुनाव में झारखंड राज्य गठन के बाद कई मामले में एक नया इतिहास लिख रहा है. इस बार झारखंड की किस्मत पुरुषों के मुकाबले महिला (Women) मतदाताओं के हाथों तय हुई है. दरअसल, झारखंड के कुल 81 में से 68 सीटों पर महिला मतदाताओं ने पुरुषों के मुकाबले ज्यादा मतदान किया है. झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में कुल 67.74% कुल मतदान हुए हैं. पहले चरण की 43 सीटों पर जहां 66.65% प्रतिशत वहीं, दूसरे चरण के 38 सीटों पर 68.95% मतदान हुए हैं.
पहले चरण में के 43 में से 37 सीटों पर महिला मतदाताओं का वोटिंग प्रतिशत ज्यादा रहा. वहीं, दूसरे चरण की 38 में से 31 सीटों पर पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं ने ज्यादा मतदान किया है. दोनों चरण में पुरुषों की अपेक्षा 5,51,797 से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया है. वहीं झारखंड के दोनों चरणों में शहरी मतदाता के मुकाबले ग्रामीण मतदाताओं ने ज्यादा वोटिंग की. वहीं दूसरे चरण की 38 विधानसभा सीटों में सर्वाधिक मतदान नाला विधानसभा में हुआ. यहां का मतदान प्रतिशत 80.30% रहा जबकि, सबसे कम मतदान बोकारो में हुआ इसका मतदान प्रतिशत महज 50.06% रहा.
वहीं 13 नवंबर को हुए पहले चरण की 43 विधानसभा सीटों पर वोटिंग परसेंटेज को देखा जाए तो सर्वाधिक मतदाता खरसावां में रहे. इसका मतदान प्रतिशत 79.11% रहा है जबकि, सबसे कम मतदान रांची में हुआ. यहां का मतदान प्रतिशत महज 52.27% रहा. हालांकि, इस बार झारखंड में मतदान को लेकर एक नया इतिहास मतदाताओं ने लिखा है. राज्य गठन के बाद 2024 में सर्वाधिक मतदान प्रतिशत रहा. 2024 में कुल मतदान प्रतिशत 67.55 % रहा , जबकि वर्ष 2019 में 66.40% , वर्ष 2014 के चुनाव में 66.60, 2009 के चुनाव में 57 फ़ीसदी रहा. वहीं 2005 में भी मतदान प्रतिशत 57 फ़ीसदी रहा था.
यहां चुनाव परिणाम के लेकर अलग-अलग तरह के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन, सबसे आश्चर्यजनक इस चुनाव में महिला मतदाताओं के वोट प्रतिशत का बढ़ना. ऐसा माना जा रहा है कि जिस प्रकार इंडिया गठबंधन और एनडीए गठबंधन आधी आबादी को लक्षित कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए मईया सम्मान योजना के तहत वर्तमान में एक हजार की राशि हर महीना दे रहे हैं. इसे दिसंबर से बढ़ाकर 2500 करने का वादा किया है.
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने गोगो दीदी योजना के तहत 2100 रुपए हर महीने देने का वादा किया है. यह भी इस बार के चुनाव में भी ये एक बड़ा फैक्टर है. महिलाओं का वोट प्रतिशत बढ़ाने का इसके साथ ही इस पूरे चुनाव प्रक्रिया के दौरान कल्पना सोरेन का महिला मतदाताओं के साथ बातचीत करना भी हो सकता है. राजनीति के जानकार मानते हैं कि महिला मतदाताओं का अपने अधिकारों के प्रति जागरुक होकर ज्यादा से ज्यादा मताधिकार का प्रयोग करना भी एक कारण है.
वहीं राज्य गठन के बाद पहली बार कुल 1200 से ज्यादा उम्मीदवारों में 128 महिला उम्मीदवार हैं राज्य गठन के बाद पहली बार साल 2005 में 78 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था इसमें से 3 को जीत मिली थी. साल 2009 में 107 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था और 8 को जीत मिली थी. साल 2014 में यह संख्या बढ़कर 111 को पार कर गई लेकिन जीतने वाले प्रत्याशियों की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई आठ महिला विधायक बनी थीं. 2019 में जनसंख्या बढ़कर 127 हो गई और महिला विधायकों की संख्या भी बढ़कर 8 से 10 हो गई.
इस साल 2024 में महिला प्रत्याशियों की संख्या 128 है. अब देखना होगा कि जिस प्रकार महिला मतदाताओं ने सर्वाधिक मताधिकार का प्रयोग किया है तो महिला विधायकों की संख्या कितनी होती है? इसबार 128 प्रत्यशियों में एनडीए गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी ने 12 जबकि, आजसु पार्टी ने तीन महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है. वही इंडिया गठबंधन में कांग्रेस पार्टी ने सात, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पांच, जबकि, राजद ने एक महिला उम्मीदवार को टिकट दिया है. बाकी निर्दलीय उम्मीदवार हैं.
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