रांची । झारखंड (Jharkhand) के पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक आलमगीर आलम (Alamgir Alam) को झटका देते हुए कोर्ट (Court) ने शुक्रवार को उनकी जमानत याचिका (Bail plea) को खारिज कर दिया। PMLA के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने आलम की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह एक प्रभावशाली व्यक्ति होने के कारण सबूतों को छिपा सकते हैं और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
न्यायाधीश प्रभात कुमार शर्मा ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध राष्ट्रीय हित के लिए आर्थिक खतरा है और यह अपराधियों द्वारा उचित साजिश, जानबूझकर डिजाइन और व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से किया जाता है, भले ही समाज और अर्थव्यवस्था पर इसका कोई असर न पड़े। आलमगीर आलम ठेकों में कमीशनखोरी से प्राप्त बड़ी रकम की मनी लांड्रिंग करने के आरोप में जेल में बंद है।
74 वर्षीय कांग्रेस नेता ग्रामीण विकास मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने नियमित जमानत के लिए अदालत का रुख किया था और कहा था कि वह बिल्कुल निर्दोष हैं और उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है, जैसा कि आरोप लगाया गया है और उन्हें संदेह के आधार पर इस मामले में झूठा फंसाया गया है, जबकि उनके खिलाफ कोई कानूनी सबूत नहीं है।
ईडी की तरफ से विशेष लोक अभियोजक शिव कुमार काका ने आलम को जमानत देने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आलम के खिलाफ अभियोजन शिकायत(चार्जशीट) दाखिल है और उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत भी है। याचिकाकर्ता की ओर से 7 अगस्त को ही बहस पूरी कर ली गई थी और लगभग 1500 पन्नों की लिखित बहस अदालत में फाइल की गई थी। दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
बता दें कि आलमगीर आलम को 15 मई को ईडी ने पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के 64 दिनों बाद 18 जुलाई को जमानत की गुहार लगाई थी। दाखिल याचिका में उन्होंने अपने आप को निर्दोष बताया था। आलम की गिरफ्तारी उनके सचिव संजीव कुमार लाल एवं उसके नौकर जहांगीर आलम के यहां से मिले 32.30 करोड़ रुपए नकद बरामदी मामले में की गई थी। इसी मामले में ग्रामीण विकास विभाग के निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम समेत नौ आरोपी जेल में है।
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