रांची । झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections) में कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से तैयारियों में जुटी हैं. मुख्य मुकाबला INDIA ब्लॉक और बीजेपी (BJP) में होने जा रहा है. इस बीच INDIA ब्लॉक के सत्ता तक पहुंचने की राहों में कांग्रेस (Congress) की अंदर की अंतर्कलह मुश्किलें पैदा कर रही हैं. शुक्रवार को आयोजित संवाद कार्यक्रम के पहले ही कांग्रेस के अंदर का विवाद पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल (KC Venugopal) के सामने आ गया. ऐसे में पार्टी के सामने इस अंतर्कलाह से निपटना बड़ी चुनौती है.
दरअसल, जानकारों का मानना है कि INDIA ब्लॉक को अगर राज्य में पावर रिटेन करनी है तो उसमें कांग्रेस की भूमिका अहम होनी चाहिए लेकिन जिस तरह से पार्टी के अंदर टिकट बंटवारे को लेकर विवाद पैदा हुआ है, मुश्किल INDIA ब्लॉक के लिए बढ़ती ही दिख रही है. सवाल कोई दूसरा नहीं बल्कि पार्टी के कार्यकर्ता और नेताओं ने ही खुद शुक्रवार को आयोजित संवाद कार्यक्रम में शामिल के सी वेणुगोपाल के सामने ही उठा दिया. नाराजगी कार्यकर्ताओं की ऐसी थी कि केसी वेणुगोपाल भी दंग रह गए और कार्यकर्ताओं की नारेबाजी के कारण 6 से 7 मिनिट तक बोल नहीं पाए.
हालांकि ये सिर्फ पार्टी का अंरूणी कार्यक्रम था, लेकिन उसमें शामिल नेता व कार्यकर्ताओं ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि कि तमाम मापदंड का उल्लंघन कर टिकट बांटे गए. कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाए कि टिकट बेचे गए हैं. पांकी में ऐसे उम्मीदवार को टिकट दिया गया, जो महीना पहले पार्टी में आए हैं. साथ ही बरही में ऐसे उम्मीदवार को सीटिंग विधायक का टिकट काटकर मैदान में उतार दिया गया, जिसकी एंट्री दो साल पहले हुई. धनबाद में भी जिस उम्मीदवार को टिकट दिया गया, उसका विरोध हो रहा है. आरोप ये भी है कि 20 से 30साल तक पार्टी का झंडा ढोने वालों की अनदेखी हुई है. SC सीट पर पार्टी ने क्यों उम्मीदवार नहीं उतारे, ये भी सवाल संवाद कार्यक्रम में उठाया गया. इसके अलावा पूछा गया कि कांके से जिस उम्मीदवार को 4 चुनाव से हार मिल रही है, उसी पर विश्वाश जताए जाने का कारण क्या है?
बता दें कि पिछली बार राज्य चुनाव में कांग्रेस को 31 में से 16 सीट पर जीत मिली थी. वहीं हेमंत सोरने की जेएमएम ने 30 सीटें जीती थीं. राजद और वाम दल को एक-एक सीटें मिली थीं. एनसीपी ने भी हेमंत सरकार को सपोर्ट किया था .सरयू राय का समर्थन भी सरकार को था. चर्चा है कि इस बार भी जेएमएम नेतृत्व वाली सरकार तभी बन सकती है जब कांग्रेस भी 2019 के परफॉर्मेंस को दोहराए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो पावर रिटेन करना मुश्किल हो सकता है. और ऐसा प्रतीत इसलिए फिलहाल नहीं होता क्योंकि खुद कांग्रेस के कार्यकता और नेता ही अपने ही कांग्रेस पार्टी पर सलेक्शन ऑफ कैंडिडेट को लेकर न सिर्फ सवाल उठा रहे हैं बल्कि टिकट को बेच देने की बात कह रहे हैं. कमजोर कैंडिडेट को मैदान में उतारने की बात कर रहे हैं. ऐसे में जाहिर है कि ये चर्चा भी जोरो पर है कि 30 सीटों पर लड़ रही कांग्रेस कहीं INDIA ब्लॉक की राहों में कमजोर कड़ी साबित न हो.
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