उज्जैन। गीता कॉलोनी में रहने वाले मावा व्यापारी ने आज सुबह अपने घर के बरामदे में फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। व्यापारी पर बैंक सहित अन्य लोगों का कर्ज बढ़ गया था और व्यापार में घाटा हो गया था। कोरोना संक्रमण के चलते 3 माह तक लॉकडाऊन लगा रहा और 1 जून से कारोबार शुरू हो चुका है। तीन माह तक बंद रहने के कारण कई लोगों के कामकाज ठप्प हो चुके हैं, वहीं कई लोग कर्ज में डूबे हुए हैं। इस वजह से लगातार आत्महत्या करने का सिलसिला चल पड़ा है। आज सुबह गीता कॉलोनी में रहने वाले मावा व्यापारी सुशील पिता शंकरलाल गुप्ता उम्र 63 साल ने अपने घर के बरामदे में फाँसी लगा ली। सुबह जब उनके पुत्र अनमोल और अन्य परिजनों ने देखा तो वे फंदे पर लटके मिले।
सूचना लगते ही आसपास के लोग इकट्ठा हो गए और पुलिस को बुला लिया। मौके पर पहुंची जीवाजीगंज थाना पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया। मृतक पुत्र अनमोल ने बताया कि उनकी ढाबा रोड पर सुशीलकुमार शंकरलाल ट्रेडर्स नाम से मावे की दुकान है तथा एक साल पहले इसके समीप ही करोड़ों रुपए खर्च कर मनोरम स्वीट्स नाम से दुकान खोली थी और कुछ समय बाद ही उक्त दुकान में घाटा चला गया था। पिछले 3 माह से लॉकडाऊन में भी कारोबार पूरी तरह से ठप्प हो गया था और लॉकडाऊन खुलने के बाद से बैंक सहित अन्य कर्ज वाले लगातार तकादा रहे थे जिसके कारण वे तनाव में थे और कर्ज चुकाने में असमर्थ थे। बताया जा रहा है कि मृतक पर 70 लाख से अधिक कर्ज चढ़ा हुआ था और इसी के चलते उन्होंने आत्महत्या की है। पुलिस ने परिजनों के बयान लेने के बाद सुबह शव का पोस्टमार्टम कराया। पुलिस कर्जदारों की सूची भी परिजनों से लेकर जाँच करेगी। इधर जिला चिकित्सालय के चिकित्सक डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने कहा कि लॉकडाऊन का बंद खुलने के बाद से फाँसी और जहर खाकर जान देने के मामले बढ़ गए हैं। तीन माह से अधिक समय तक बेकार बैठने के कारण लोगों की आर्थिक हालत बिगड़ गई है और डिप्रेशन में आकर लोग इस तरह के आत्मघाती कदम उठा रहे हैं।
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