नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Modi) 22 सितंबर को तीन दिवसीय अमेरिका दौरे पर गये थे। उन्होंने वहां अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता सहित 20 मीटिंग में शामिल हुए थे। कई टाइम जोन में समय बिताकर वे रविवार को स्वदेश लौट आये हैं। इतने बिजी होने के बावजूद भी जब उन्हें फ्लाइट से उतारते देखा तो उनके चेहरे पर थकान बिलकुल भी नजर नहीं आई। जिस गर्मजोशी के साथ लोगों से मिलते-जुलते देखा तो सवाल उठने लगे कि क्या उन्हें लंबी विमान यात्रा की कोई थकान (Jet lag) नहीं हुई। जबकि लंबी विमान यात्रा करने वाले लोग जानते हैं कि इस थकान को उतारने में कितना वक्त लगता है, लेकिन पीएम मोदी (PM Modi) की गतिविधियों पर 15 घंटे से ज्यादा की दिल्ली (Delhi) से वॉशिंगटन (Washington) की डायरेक्ट फ्लाइट का भी कोई असर नहीं पड़ा।
सूत्रों के मुताबिक,इसके पीछे उनके खुद के बनाए हुए तीन राज हैं। जब भी प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर जाते हैं तो बिना गैप किए लगातार बैठकें करते हैं, ताकि थकान महसूस करने का समय ही न मिले, जबकि लंबी उड़ान के बाद थकान होना बहुत ही सामान्य सी बात है। बताया जा रहा है कि इस दौरे में 23 सितंबर को उनकी तीन बैठकें थीं। सीईओ के साथ, उसके बाद अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस (US Vice President Kamala Harris) से, फिर जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा और ऑस्ट्रेलिया (Australia) के पीएम स्कॉट मॉरिसन (PM Scott Morrison) के साथ द्विपक्षीय चर्चा। इसी बीच कुछ आंतरिकें बैठकों में भी पीएम मोदी शामिल हुए थे। इसी तरह 24 सितंबर को उन्होंने जो बाइडेन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की और फिर क्वाड मीट में शामिल हुए। 25 सितंबर को उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। साथ ही हर दिन वे आंतरिक बैठकें भी करते रहे।
वही पीएम मोदी के ऊपर जेट लेग (Jet Lag) का असर ना पड़ने का दूसरा कारण यह है कि वे कुछ बैठकें विमान के अंदर ही कर लेते हैं। बताया जा रहा है कि इस यात्रा के दौरान भी उन्होंने अमेरिका (America) जाते वक्त और वहां से लौटने के दौरान विमान में ही चार बैठकें की हैं। इस तरह से वे समय का भरपूर उपयोग करते हैं और खुद पर थकावट को हावी नहीं होने देते। शायद इसमें उनके संयम से संचालित दिनचर्या और योग का भी बहुत बड़ा योगदान हो सकता है।
साथ ही पीएम मोदी बहुत ज्यादा पानी भी पीते हैं, क्योंकि डॉक्टरों का कहना है कि विमान की हवा शरीर की नमी को सोख लेती है। वही इन दो कारणों के इलावा तीसरे कारण की बात करे तो वो यह है कि वे जब भी विदेश यात्रा पर जहां भी जा रहे होते हैं,तो वे अपने शरीर और नींद की साइकिल को उसी के टाइम जोन के हिसाब से ढाल लेते हैं। इसलिए अगर भारत में रात हो रही होती है, तब भी विदेश जाते वक्त वह विमान में नहीं सोते हैं। सूत्रों के मुताबिक वह भारत लौटते समय भी यही काम करते हैं और भारतीय समय के अनुसार अपने शरीर और नींद के चक्र को ट्यून कर लेते हैं, इससे यह सुनिश्चित कर लेते हैं कि वह पूरी तरह से फ्रेश हैं और दिन के समय लैंडिंग के साथ ही अपने काम पर जाने के लिए तैयार रहते हैं।’
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