भोपाल। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी (PCC Chief Jitu Patwari) ने मध्यप्रदेश विधानसभा बजट सत्र (Madhya Pradesh Legislative Assembly Budget Session) समय से पहले समाप्त होने पर सरकार को जमकर घेरा और कई आरोप लगाए हैं। उन्होंने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि 20 साल में किसी सरकार का यह सबसे छोटा बजट सत्र है। बीजेपी सरकार (BJP government) लोकतांत्रिक मूल्यों पर विश्वास नहीं करती है।
इसलिए मैं आरोप लगाता हूं कि वित्त मंत्री का प्रबंधन घटिया है और यह बात मैं सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर कह रहा हूं। जिसमें कहा गया है कि वित्तीय प्रबंधन घटिया स्तर का है। बजट का सही प्रबंधन नहीं किया गया है। करप्शन करने और कर्ज लेने के लिए बजट बढ़ाया गया है। पटवारी ने कहा कि अगर वित्त मंत्री इस्तीफा न दें तो सीएम डॉ मोहन यादव को उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए।
जीतू पटवारी ने कहा कि यह सरकार करप्शन की पर्याय बन गई है और नर्सिंग घोटाला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। सरकार का यही उद्देश्य था कि बजट की विभागवार चर्चा न हो। प्रदेश में खनन और परिवहन माफिया का बोलबाला है। करप्शन की पूरी छूट दी गई है। उज्जैन में मंदिरों पर कब्जा कर लिया गया है। भ्रष्ट लोगों का कुनबा यह मानने को तैयार नहीं है कि करप्शन किया है और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है।
जीतू पटवारी ने कांग्रेस पार्टी के विधायकों की तारीफ करते हुए कहा कि हमारे विधायकों ने पूरी ताकत से विधानसभा में जनता के मुद्दों को उठाया। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने जिस तरह से नर्सिंग घोटाला उजागर किया और जल जीवन मिशन का करप्शन उजागर किया वह कांग्रेस के एग्रेसिव रूप को बताता है।
जीतू पटवारी ने कहा कि कुल पंजीकृत बेरोजगारों में से दो से तीन प्रतिशत रोजगार दिए गए हैं। वह भी सरकारी विभागों में नहीं बल्कि निजी संस्थाओं में दिलाए गए हैं। अगर सरकार चार लाख रोजगार जनरेट करती है तो बाकी तीस लाख बेरोजगारों का क्या होगा? बजट में तीन लाख 65 हजार करोड़ का आंकड़ा इसलिए बताया जाता है ताकि समृद्धि बताकर अधिक से अधिक लोन ले सकें।
पटवारी ने कहा कि कुल 4287 सवाल विधायकों ने पूछे थे। इसमें से 2756 प्रश्नों के उत्तर सरकार ने इस सत्र में नहीं दिए। शून्यकाल की 175 सूचनाओं को नजरअंदाज किया। साथ ही 500 ध्यानाकर्षण को भी इग्नोर किया गया। भाजपा को संसदीय कार्य व्यवस्था में भरोसा नहीं है वह इसका सम्मान नहीं करती। विधायकों के विधानसभा सत्र में किए गए सवालों को लेकर कहा कि सत्र में कुल 14 बैठकें होनी थी, लेकिन ऐसा क्या हो गया कि विभागवार चर्चा ही नहीं कराई।
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