रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि ज्वाइंट एंट्रेस एग्जामिनेशन- मेन ( जेईई मेन) और नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट यूजी) की एक सितंबर से शुरू हो रही परीक्षा को वे रद्द करने के की मांग नहीं कर रहे हैं, लेकिन जिस गति से पूरे देश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे हालात में इन दोनों परीक्षाओं का स्थगित किया जाना चाहिए।
सोरेन ने कहा कि केंद्र सरकार जेईई-मेन और नीट-यूजी के आय़ोजन को लेकर हठधर्मिता दिखा रही है। शॉर्ट पीरिएड में दोनों परीक्षाओं को लेने पर अड़ी है। इन परीक्षाओं के आय़ोजन से जहां कोविड-19 के संक्रमण का खतरा बढ़ेगा, वहीं राज्य सरकारों की भी मुश्किलें बढ़ेंगी। सोरेन आज कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी के साथ वीडिय कांफ्रेंसिंग में यह कह रहे थे।
इस मौके पर सिंघवी ने बताया कि जेईई- मेन और नीट-यूजी को स्थगित करने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में रिव्यू पिटीशन दाखिल किया गया है। उन्होंने इस याचिका में इन दोनों परीक्षाओं को स्थगित किए जाने के लिए जो तर्क दिए हैं, उससे अवगत कराया।
स्कूल-कॉलेज बंद है तो परीक्षा लेने की जल्दबाजी क्यों
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले पांच माह से देश के सभी स्कूल-कॉलेज बंद हैं। विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, लेकिन जेईई-मेन और नीट की परीक्षा हर हाल में लेने पर केंद्र सरकार अड़ी है। इससे पहले ये दोनों परीक्षाएं अप्रैल और जून में स्थगित की जा चुकी हैं, पर अब इन परीक्षाओं को जल्दबाजी में लेने जा रही है। कहीं न कहीं इन परीक्षाओं के आय़ोजन के साथ सरकार बड़े रिस्क की ओर बढ़ रही है। यह हम सभी के लिए गंभीर चिंता की बात है।
उन्होंने कहा कि देश में कोरोना संक्रमण के लगभग चौंतीस लाख मामले सामने आ चुके हैं।मौत का आंकड़ा साठ हजार को पार कर चुका है। वर्तमान में इस महामारी का कोई कारगर इलाज भी नहीं है। ऐसे में अगर इन दोनों परीक्षाओं के होने से विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के साथ कोई घटना होती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
सिर्फ 25 लाख स्टूडेंट्स से जुड़ा मामला नहीं है
मुख्यमंत्री ने कहा कि जेईई-मेन और नीट-यूजी में लगभग पच्चीस लाख विद्यार्थी शामिल होंगे। लेकिन मैं यह बताना चाहूंगा कि यह सिर्फ 25 लाख विद्यार्थियों से जुड़ा मामला नहीं है। इन दोनों परीक्षाओं में लाखों छात्राएं भी शामिल होंगी। इन छात्राओं के साथ उनके अभिभावक भी रहेंगे। इसके साथल कई वाहनों के ड्राइवर भी होंगे। इतना ही नहीं, कई विद्यार्थी दूर-दराज के इलाकों से परीक्षा देने जाएंगे। उनके लिए इस परीक्षा में शामिल होना सिर्फ एक दिन की बात नहीं बल्कि दो-तीन दिनों का मसला है। होटल-लॉज बंद हैं। ऐसे में वे कहां रहेंगे। यह भी गंभीर मसला है। ऐसे में अगर किन्हीं वजहों से कोरोना का खतरा और बढ़ता है तो मुश्किलें औऱ भी बढ़ जाएंगी, पर केंद्र सरकार को शायद इससे कोई लेना-देना नहीं है।
परीक्षा के आयोजन के विकल्पों पर चर्चा होनी चाहिए
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संकट में परीक्षाओं का आयोजन खतरनाक है। ऐसे में इन दोनों परीक्षाओं के आयोजन के विकल्प पर केंद्र सरकार को विचार करना चाहिए था। इसमें राज्य सरकारों की भी सहमति ली जानी चाहिए थी। पर, लगता है केंद्र को इससे कोई लेना-देना नहीं है. वह विद्यार्थियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की अनदेखी करते हुए परीक्षा लेने पर अड़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि जेईई मेन और नीट के आधार पर चयनित इंजीनियरिंग और मेडिकल के विद्यार्थियों का सेशन चार-पांच सालों का होता है। ऐसे में समय प्रबंधन को लेकर शिक्षा विशेषज्ञों की राय ली जानी चाहिए, ताकि पढ़ाई और सेशन के बीच समन्वय बन सके, ताकि विद्यार्थियों को किसी तरह का नुकसान नहीं हो।
अगर परीक्षा लेना ही है तो इसे सुरक्षित तरीके से आय़ोजित करने पर चर्चा होनी चाहिए
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर केंद्र सरकार जेईई-मेन और नीट लेना ही चाहती है तो उसे कैसे सुरक्षित तरीके से आय़ोजित किया जाए, इसपर राज्य सरकारों से चर्चा करनी चाहिए थी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस बात को लेकर भी तैयारी कर रही है कि अगर परीक्षाएं होती हैं तो विद्यार्थियों के लिए इसे कैसे सुरक्षित बनाया जा सकता है। (एजेंसी, हि.स.)
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