पटना: चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद देश भर में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन को लेकर खूब चर्चा हो रही है तो वहीं कांग्रेस के उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन ना होने की भी खूब चर्चा हो रही है. इन सब के बीच जदयू के मध्य प्रदेश में प्रदर्शन ने भी राजनीतिक दलों के बीच चर्चा का बाजार गर्म कर दिया है.
मध्य प्रदेश में जेडीयू ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है उससे ये सवाल भी उठने लगा है कि जब चुनाव दर चुनाव जदयू के बिहार के बाहर खराब प्रदर्शन हो रहा है तब भी जदयू उम्मीदवार क्यों उतारती है. ऐसे ही सवाल मध्य प्रदेश में जदयू उम्मीदवारों के प्रदर्शन को लेकर भी पूछे जा रहे हैं. दरअसल पांच राज्यों के चुनाव में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने दस उम्मीदवार उतारे थे वो भी तब जब कांग्रेस ने जदयू को एक भी सीट नहीं दी थी, जिसकी मांग जदयू कर रहा था.
कांग्रेस से झटका लगने के बाद नीतीश कुमार ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 10 उम्मीदवार उतार दिए और दावा किया गया था कि जदयू का मध्य प्रदेश में मजबूत जनाधार है और जदयू उम्मीदवारों की जीत होगी लेकिन चुनाव शुरू होने के ठीक पहले एक उम्मीदवार ने मैदान से हटने का फैसला कर जदयू को झटका दे दिया था. बाक़ी के नौ उम्मीदवार मैदान में डटे रहे लेकिन एक को भी जीत नहीं मिली तमाम उम्मीदवार अपनी जमानत भी गंवा बैठे.
जेडीयू उम्मीदवारों के हालात को ऐसे समझ सकते है कि उन्हें नोटा से भी कम वोट मिले हैं. जेडीयू को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में जो वोट प्रतिशत में मिले वो वोट शेयर मात्र 0.02 फीसदी रहा, जबकि नोटा में पड़े वोट एक प्रतिशत के आसपास था. एक नज़र डाल लेते हैं मध्य प्रदेश में जदयू के लड़े उम्मीदवार को मिले वोटों पर तो विजय राघवगढ— 21 वोट, बालाघाट – 26 वोट , पिछोरे -45 वोट ,बहोरीबंद-71 वोट, गोटेगांव-95 वोट, राजनगर-119 वोट, जबलपुर उतर- 161 वोट , पेटलवाद- 472 वोट, थंडला-1445 वोट मिले हैं.
जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार कहते हैं कि सवाल ये नहीं है कि जदयू उम्मीदवारों को जीत मिली या हार, हमारी पार्टी है और बिहार के बाहर भी चुनाव लड़ती रहती है. मध्य प्रदेश में हमारी पार्टी के लोगों ने चुनाव लड़ना तय किया, सो पार्टी पूरी मज़बूती से लड़ी हार और जीत तो चलते रहता है.
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