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    जया एकादशी व्रत आज, ये है सही मुहूर्त, मंत्र, पूजा विधि, कथा एवं पारण समय

  • February 12, 2022

    नई दिल्‍ली। नीच योनि से मुक्ति प्रदान करने वाली जया एकादशी आज 12 फरवरी को है. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की विधि विधान से पूजा (worship by law) करने और व्रत रखने से मोक्ष प्राप्त होता है, कष्ट मिटते हैं और पाप भी कट जाते हैं. जया एकादशी व्रत हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करने से भगवान श्रीहरि विष्णु प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. आइए जानते हैं जया एकादशी व्रत के मुहूर्त (Muhurat), मंत्र (Mantra), पूजा विधि (Puja Vidhi), कथा (Katha) एवं पारण समय (Parana Time) के बारे में.



    जया एकादशी 2022 मुहूर्त
    पंचांग के अनुसार, इस वर्ष माघ शुक्ल एकादशी तिथि की शुरूआत कल 11 फरवरी दोपहर 01:52 बजे से ही हो गई थी, जो आज शाम 04:27 बजे तक मान्य रहेगी. जया एकादशी के दिन का मुहूर्त दोपहर 12:13 से दोपहर 12:58 बजे के मध्य तक है.

    जया एकादशी 2022 पारण समय
    आज जो लोग जया एकादशी का व्रत हैं, वे लोग कल 13 फरवरी को सुबह 07:01 बजे से सुबह 09:15 बजे के बीच पारण कर सकते हैं. यह पारण करने का उचित समय है.

    जया एकादशी पूजा विधि एवं मंत्र
    आज प्रात: स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें. फिर हाथ में जल, अक्षत् एवं फूल लेकर जया एकादशी व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. उसके पश्चात भगवान विष्णु की पूजा करें. भगवान विष्णु की मूर्ति को एक चौकी पर स्थापित कर दें.
    फिर पीले फूल, पीले वस्त्र, तुलसी का पत्ता, पंचामृत, अक्षत्, चंदन, हल्दी, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें. गुड़, चने की दाल या बेसन का लडडू का भोग लगाएं. उसमें तुलसी का पत्ता डाल दें. पूजा के समय ओम भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का उच्चारण करते रहें.
    फिर विष्णु चालीसा या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें. फिर जया एकादशी व्रत कथा का श्रवण करें. उसके पश्चात कपूर या घी के दीपक से भगवान विष्णु की आरती करें. अंत में केले के पौधे की भी विधिपूर्वक पूजा करें. फिर प्रसाद का वितरण करें. पूजा के पश्चात दान करें या पारण के दिन स्नान के बाद भी दान कर सकते हैं.

    जया एकादशी व्रत कथा
    जया एकादशी व्रत की संक्षिप्त कथा के अनुसार, देवराज इंद्र के श्राप के कारण गंधर्व माल्यवान एवं पुष्यवती को पृथ्वी पर पिशाच योनि में जीवन व्यतीत करना पड़ा. उन दोनों से अनजाने में माघ शुक्ल एकादशी का व्रत हो गया और उस व्रत के पुण्य प्रभाव से पिशाच योनि से मुक्ति मिल गई. श्रीहरि की कृपा से दोनों को सुंदर शरीर और स्वर्ग में पुन: स्थान प्राप्त हो गया. जया एकादशी व्रत कथा को विस्तार से यहां पढ़ सकते हैं.

    (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. अग्निबाण इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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