23 फरवरी यानि कल है जया एकादशी का पावन व्रत इस दिन भगवान विष्णु की संपूर्ण विधि विधान से पूजा की जाती है । आपको बता दें कि माघ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2021) के रूप में मनातें हैं । धार्मिक मान्यता के अनुसार जया एकादशी (Jaya Ekadashi) को, अन्नदा एकादशी (Annada Ekadashi) और कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) के नामों से भी जाना जाता है। जया एकादशी (Jaya Ekadashi) के दिन भगवान विष्णु की जो भी व्यक्ति सच्ची श्रद्वा व संपूर्ण विधि विधान से पूजा करता है भगवान विष्णु (Lord Vishnu) उसकी सभी मनोकामना पूरी कर देंते हैं । भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने स्वयं इस एकादशी का महत्व बताते हुए कहा है कि जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धापूर्वक रखता है, उसे ब्रह्म हत्या जैसे महापाप से भी मुक्ति मिल जाती है। भगवान विष्णु की कृपा से उसके सभी दुखों का अंत होता है और वो शख्स भूत, प्रेत और पिशाच जैसी नीच योनि से मुक्त हो जाता है।
लेकिन इस व्रत का पूर्ण रूप से फल लेने के लिए व्रत के नियमों का पालन बहुत जरूरी है। जया एकादशी (Jaya Ekadashi)व्रत के नियम का पालन तीन दिनों तक चलता है। इसके नियम दशमी तिथि की शाम से शुरू होते हैं और द्वादशी तिथि तक चलते हैं।
दशमी के दिन मांस, मीट, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल और चने की दाल वगैरह नहीं खाएं। सात्विक भोजन करें। द्वादशी के दिन व्रत का पारण करते समय भी इस बात का ध्यान रखें।
जया एकादशी (Jaya Ekadashi) के दिन घर पर चावल किसी को भी न खाने दें। जया एकादशी (Jaya Ekadashi) के दिन चावल खाने की मनाही है।
दशमी से लेकर द्वादशी तक संयम के साथ ब्रह्राचार्य का पालन करना चाहिए।
एकादशी (Jaya Ekadashi) के दिन घर में झाडू नहीं लगाना चाहिए क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है। अगर लगाना ही है तो संभलकर लगाएं, जिससे किसी जीव को हानि न पहुंचे।
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जया एकादशी (Jaya Ekadashi) का दिन बेहद पुण्यदायी और भगवान की आराधना का दिन होता है इसलिए इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं। शाम के समय सोना नहीं चाहिए। अगर संभव हो तो एकादशी ( Ekadashi) की रात में भी जागरण करके भगवान के भजन और कीर्तन करने चाहिए।
व्रत का तात्पर्य है आपके मन की शुद्धि और इंद्रियों पर नियंत्रण । इसलिए किसी के लिए भी मन में द्वेष की भावना न लाएं। न ही किसी की बुराई करें और न ही किसी का दिल दुखाएं। किसी से झूठ न बोलें।
इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए और न ही किसी से ज्यादा बात करनी चाहिए। ज्यादा बोलने से एनर्जी बर्बाद होती है, साथ ही कई बार गलत शब्द मुंह से निकलने का डर रहता है। ऐसे में मौन रहकर भगवान का मनन करें।
यदि संभव हो तो दिन में किसी समय गीता का पाठ करें या सुनें। द्वादशी के दिन स्नान के बाद किसी जरूरतमंद को भोजन खिलाएं और दान दक्षिणा दें, इसके बाद ही व्रत खोलें।
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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