नागदा (प्रफुल्ल शुक्ला)। जावरा-उज्जैन मौत के बायपास पर एक बार फिर चार मासूमों की दु:खद मौत के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। लोगों ने जैसे ही नेताओं के दु:ख व्यक्त करने के मैसेज सोशल मीडिया पर देखे तो लोगों का इस दिखावे पर गुस्सा फूट पड़ा। लोगों ने शहर के हर बड़े नेता को आड़े हाथों लेते हुए बेबाक टिप्पणी की कैसे देखते ही देखते नेताओं के महल खड़े हो गए? उद्योगों में हर बड़े नेता का ट्रांसपोर्ट सहित अन्य बड़े बड़े काम चल रहे है। शहर में राष्ट्रीय से लेकर प्रदेश स्तर तक के नेता है, पर शहर में एक सर्वसुविधा युक्त अस्पताल तक मौजूद नहीं है और बातें जिला बनाने की हो रही है। कल की दु:खद घटना के बाद सभी घायल बच्चों को पहले नागदा लाया गया, परंतु ईलाज की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण प्राथमिक उपचार के बाद 15 घायलों मेस 4 चार को छोड़कर बाकी सभी को उज्जैन और इंदौर रैफर करना पड़ा। राष्ट्रीय स्तर और प्रदेश स्तर के नेता शहर में वर्षों से मौजूद होने के बाद भी मूलभूत सुविधाएँ नहीं होना शर्मनाक स्थिति है।
सामूहिक महामृत्युंजय जाप
दुर्घटना में घायल हुए चिकित्सारत छात्रों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिले तथा वे रोजमर्रा के जीवन को पुन: प्राप्त करें। इस कामना से राष्ट्रीय परशुराम सेना के ब्राह्मण युवाओं द्वारा मध्यान्ह में स्थानीय विश्वकर्मा मंदिर परिसर में सामूहिक शिव महामृत्युंजय जाप कर अभिषेक अनुष्ठान किया। इस अवसर पर गुलजारी लाल त्रिवेदी, गोविन्द रावल, रोहित व्यास, आलोक नागर, निलेश मेहता, पंडित दीपक रावल, यशेष वशिष्ठ, मनीष व्यास, अर्जुन पंडित आदि युवा उपस्थित रहे।
मौत का बायपास
जावरा-उज्जैन बायपास अब मौत के बायपास के नाम से जाना जाने लगा है। इसकी वजह इस मार्ग पर प्रतिदिन होने वाली दुर्घटनाएँ है। पूरे मार्ग पर कई घुमावदार मोड़ है जो दुर्घटना का कारण बन रहे है। आँकड़ों की बात करे तो बायपास बनने के बाद से अब तक करीब 180 सड़क दुर्घटना में 218 लोगों की मौतें हो चुकी है और 670 से अधिक घायल हुए है। ये वो आँकड़े है जो पुलिस रिकार्ड में दर्ज है परंतु सैकड़ों ऐसे भी हादसे इस मौत के बायपास पर हो चुके है जो किसी रिकार्ड में मौजूद नहीं है। जब बायपास बना था तब इस मार्ग पर ट्रेफिक नाममात्र का था परंतु वर्तमान में इस मार्ग पर इतना ट्राफिक है कि पलक झपकने भर में कई वाहन पास से गुजर जाए। इस मार्ग को फोरलेंन करने की माँग लम्बे समय से की जा रही है परंतु शहर के कर्ताधर्ताओं की उदासीनता के चलते सफलता नहीं मिल रही है।
मुआवजे की कोई घोषणा नहीं
छोटी-छोटी घटनाओं के बाद तत्काल सरकार द्वारा मुआवजे की घोषणा कर दी जाती है, परंतु मासूमों की दर्दनाक सड़क दुर्घटना में मौत होने और एक दर्जन बच्चों के घायल होने की इस घटना के 36 घंटे बीत जाने पर भी कोई घोषणा नहीं हुई। क्षेत्र के नेताओं ने भी अस्पताल और पीडि़तों के घर जाकर संवेदनाएँ व्यक्त कर अपने कर्तव्य का निर्वाह कर लिया।
प्रेस क्लब अध्यक्ष ने दी आमरण अनशन की चेतावनी
सोशल मीडिया के माध्यम से प्रेस क्लब अध्यक्ष शरद गुप्ता ने आम लोगों से आंदोलन में शामिल होने की अपील करते हुए सीधी आमरण अनशन की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि इस गंभीर मुद्दे के प्रति जागरुक नहीं हैं तो लोगों को स्वयं ही समस्या के निपटारे के लिए कदम उठाने पड़ेंगे, जो लोग साथ हैं वे सीधे मैदान में आएँ। उनकी इस मांग का समर्थन करते हुए दर्जनों लोगों ने आमरण अनशन में उनका साथ देने की मंशा जाहिर की। संभवत: आने वाले समय में यह मुद्दा एक बड़ा जन आंदोलन बन सकता है। समाजसेवी योगेश शर्मा ने भी पुराने ओवरब्रिज पर बने गड्ढों के बीच धरना देने की घोषणा की है।
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