नई दिल्ली: फिल्म की कहानी लेखक कैसे लिखता, क्या आपने कभी इस बात पर थोड़ा भी विचार किया है. कैसे फिल्म की पूरी भूमिका तैयार की जाती है और फिर दमदार डॉयलॉग्स के साथ फिल्म को डायरेक्ट कर आप और हम तक पहुंचाया जाता है. बॉलीवुड की एक फिल्म का किस्सा आपको सुनाते हैं, जिसने सनी देओल को सुपरस्टार बना दिया. क्या आप जानते हैं अपने ‘ढाई किलो के हाथ’ के लिए फिल्म ‘घायल’ से मशहूर हुए एक्टर सनी देओल के करियर को डूबने से जिस एक्शन फिल्म ने उबारा, उसका नाम है ‘अर्जुन’.
‘अर्जुन’ फिल्म की कहानी जावेद अख्तर ने लिखी थी. ये उस दौर की बात है जब सलीम और जावेद की जोड़ी अलग हो चुकी थी. फिल्म की लिखनी थी, लेकिन कैसे लिखें ये जावेद साहब समझ नहीं पा रहे थे. फिल्म की कहानी लिखने के लिए वह लोनावला गए, सुबह से शाम हो गई लेकिन उन्हें कोई आइडिया नहीं मिला. फिर देर रात पास में रखे न्यूज पेपर पर निगाह गई और फिर उन्होंने एक ब्लॉकबस्टर फिल्म की कहानी लिख डाली.
सलीम-जावेद की जोड़ी हिट थी, लेकिन ये जोड़ी अलग हुई तो उनकी जावेद साहब पर कोई भरोसा नहीं कर पा रहा था. राहुल रवैल वो पहले शख्स थे, जिन्होंने जावे साहब पर भरोसा किया और कहा, ‘फिल्म लिखों, हम बनाएंगे.’ राहुल रवैल और जावेद अख्तर दोनों बंबई के सबसे करीबी और आसानी से पहुंचे जा सकने वाले हिल स्टेशन लोनावला पहुंचे.
दोनों ने दिन बीता दिया, लेकिन फिल्म का कहानी पर कोई काम नहीं हो सका. रात हुई लेकिन जावेद अख्तर साहब को नींद नहीं आ रही थी. उन्हें पढ़ने-लिखने का आदत थी, तो पास में रखे न्यूज पेपर को उठाया और पढ़ने लगे. पेपर में एक गैंगेस्टर की सच्ची स्टोरी थी. स्टोरी पढ़ने के बाद तड़के 4 बजे सोते हुए राहुल को उठाया. वह गहरी नींद में थे, लेकिन जावेद ने कहा कि मेरे दिमाग में फिल्म बनाने का एक कमाल का आइडिया आया है.
ये उन दिनों की बात है जब मुंबई में पठान गैंग और दाऊद गैंग की जड़ें फैलने लगी थीं और वे बेरोजगार लड़कों के भोले भाले चेहरों को आगे कर अपना उल्लू सीधा कर रहे थे. राहुल रवैल को टाइम्स ऑफ इंडिया में छपे इस आलेख की बातें रोचक लगीं. ये ऐसा समय था जब देश में बेरोजगारी बहुत बढ़ रही थी और नेता लोग युवाओं को बरगलाने में लगे थे. इसी मूल विचार पर जावेद अख्तर ने फिल्म ‘अर्जुन’ की कहानी लिख डाली.
फिल्म का आइडिया क्लिक होते ही जावेद साहब ने लिखना शुरू कर दिया. लिखने के उस दौरान कुछ नहीं मिला तो उन्होंने पास में रखे टिशू पैपर ही लिखना शुरु कर दिया और महज 3 घंटे के अंदर फिल्म की स्क्रिप्ट भी तैयार कर डाली. फिल्म की कहानी तैयार हुई तो सनी देओल का नाम फिल्म के हीरो के लिए फाइनल हुआ और इस फिल्म ने उनके करियर को चमका दिया. क्योंकि इससे पहले उन्होंने जो 2-3 फिल्में की वह बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं दिखा पाईं.
फिल्म में डिंपल कपाड़िया से पहले पद्मिनी कोल्हापुर को भी लेने की बात चली थी, लेकिन सनी देओल चाहते थे कि डिंपल ही उनके साथ फिल्म करें और इसके बाद फिर पद्मिनी कोल्हापुरे ने कभी सनी देओल के साथ काम नहीं किया. फिल्म ‘अर्जुन’ ही वो फिल्म है, जिससे सनी देओल और डिंपल कपाड़िया की दोस्ती गाढ़ी होनी शुरू हुई. इससे पहले दोनों पहली बार फिल्म ‘मंजिल मंजिल’ में साथ आए थे.
राहुल रवैल के निर्देशन में बनी इस फिल्म की कहानी युवाओं को खूब पसंद आई थी. इस फिल्म में संगीत आर डी बर्मन ने दिया था. इस फिल्म को बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट स्टोरी का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था. इस फिल्म की स्टोरी लिखने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. सनी ने फिल्म में अर्जुन मालवंकर का किरदार इतनी खूबसूरती से निभाया था कि फिल्म जबरदस्त हिट हुई थी.
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