इंदौर (Indore)। बारिश के मौसम में यूं तो हर साल संक्रामक यानी बैक्टीरिया और वायरस संबंधित बीमारियों का दौर आम बात है, मगर इस बार मौसमी बीमारियों के अलावा टायफाइड और पीलिया की बीमारी ने शहर सहित जिले में गदर मचा रखा है। लगभग 15 से 20 प्रतिशत लोग इनकी चपेट में हैं। हर दिन इस बीमारी से संबंधित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।
इन दिनों एमवाय हॉस्पिटल और जिला अस्पताल के अलावा शहर के लगभग सभी निजी अस्पतालों में टायफाइड और पीलिया के मरीजों की संख्या दिनोदिन लगातार बढ़ती जा रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि अगस्त माह के अंतिम सप्ताह से लेकर सितंबर माह के शुरुआती हफ्ते में इस साल मौसमी बीमारियों वालों के अलावा इन दोनों बीमारियों से पीडि़त मरीजों के आंकड़ों में बढ़ोतरी वाकई चौंकाने वाली है।
कई मरीजों को दोनों बीमारी, उल्टी दस्त, बुखार, डेंगू फीवर
कंजक्टिवाइटिस, गले में संक्रमण वाली मौसमी बीमारियों के अलावा लगभग 20 प्रतिशत मरीज टायफाइड और पीलिया रोग से पीडि़त हैं। इनमें ज्यादातर वो मरीज भी हैं, जो पहले उल्टी, दस्त, सिरदर्द और बुखार से पीडि़त थे। कई मरीज ऐसे हैं, जो डॉक्टर से परामर्श लेने के बजाय मेडिकल स्टोर्स से दवा लेकर खुद ही इलाज करते रहे हैं। तब तात्कालिक तौर पर तो ठीक हो गए, मगर कुछ दिनों बाद उनमें टायफाइड या पीलिया के लक्षण नजर आने लगे और उनकी हालत बिगडऩे लगी। कुछ मरीज में तो टायफाइड और पीलिया दोनों बीमारियों की पुष्टि हुई है।
यह लक्षण हंै टायफाइड और पीलिया के
दोनों बीमारियों के होने का कारण और लक्षण लगभग एक जैसे ही हैं, मगर पीलिया में लिवर में सूजन, नाखून और आंखों का रंग पीला नजर आने लगता है। यहां तक कि यूरिन भी पीले कलर की आने लगती है। इसके अलावा दोनों बीमारियों में लक्षण सामान्यत: ऐसे होते हैं, जैसे तेज बुखार बने रहना, भूख न लगना, जी मचलाना, उल्टियां होना, सिरदर्द होना। टायफाइड सालमोनेला बैक्टीरिया से होता है। इसे आंतों का बुखार भी कहते हैं । इस बीमारी में ठंड लगना, पेट में बार-बार दर्द होना, कब्ज , डायरिया होना यह आम लक्षण हैं। समय पर सही इलाज नही कराने पर यह जानलेवा भी हो सकता है।
इस कारण से होती हंै यह दोनों बीमारी
प्रदूषित भोजन, प्रदूषित पानी का सेवन इसकी मुख्य वजह है। इसके अलावा चिकनाई वाला, तला हुआ, ज्यादा मसाले वाले आइटम ज्यादा खाना इन दोनों बीमारियों का मुख्य कारण हैं। इसके अलावा संक्रामक बीमारियों की चपेट में आकर घर बैठे मनमानी दवाइयां खाकर इलाज करना भी मुख्य कारण है।
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