नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष (Indian Space) एजेंसी इसरो (ISRO) का लोहा दुनिया मानती है. अब इसरो के दम में जापानी तकनीक की ताकत और जुड़ने वाली है. इसरो अब जापानी एजेंसी जाक्सा (JAXA) के साथ पांचवें मून मिशन (Fifth Moon Mission) की तैयारी में जुट गया है. इस मिशन के सहारे भारत एक ऐसा लक्ष्य हासिल करने की तरफ कदम बढ़ा देगा, जिसका सपना रूस और चीन (Russia and China) तक देखते रहे हैं. दरअसल इसरो अब चंद्रमा पर किसी भारतीय को भेजने के लक्षय में जुट गया है.
नेशनल स्पेस कमिशन ने इसरो को चंद्रयान-4 के बाद अब पांचवें मून मिशन की भी मंजूरी दे दी है. यह आयोग अंतरिक्ष मिशन पर फैसला लेने वाला सर्वोच्च निकाय है. पहले चंद्रयान से लेकर चंद्रयान-3 तक इसरो अकेले ही सारे मिशन अंजाम देता रहा है, लेकिन इस बार चांद के इस पांचवें सफर में जापान भी साथ रहेगा. इसे लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन या लूपेक्स रखा है. इसका मकसद चांद पानी और दूसरे संसाधनों की खोज करना और वहां इंसानी मिशन की नींव तैयार करना है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 18 सितंबर को चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी थी और अब ल्यूपेक्स को जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए रखा जाएगा. हालांकि आयोग की मंजूरी मिलने के बाद इसरो अब इस मिशन पर जल्द ही काम शुरू सकता है. इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया, ‘हमें चंद्रयान मिशनों की एक सीरीज बनानी होगी जो मौजूदा स्तर से लेकर उस स्तर तक की क्षमता का निर्माण करेगी जो वास्तव में इंसानों को चंद्रमा पर उतरने और उन्हें वापस लाने के लिए भेजेगी.’
सोमनाथ ने कहा, ‘वर्तमान में, यह तकनीकी चर्चा के स्तर पर है. जापानियों की प्रतिबद्धता हमें पता है. उन्होंने रोवर बनाने का काम एक फर्म को सौंपा है. साथ ही, उनकी सरकार ने इस परियोजना के लिए धन आवंटित किया है और उन्होंने इसके लिए अपने लॉन्चर की पहचान की है.’ वैसे इसरो और जापानी अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा ने 2017 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, लेकिन चांद की सतह पर जापानी लैंडर की सॉफ्ट-लैंडिंग में असमर्थता की वजह से ल्यूपेक्स पर काम को रोकना पड़ा था.
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