टोक्यो। जापान (Japan) ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह अपने पारंपरिक सहयोगी अमेरिका से इतर रक्षा सहयोग विस्तार के तहत ब्रिटेन व इटली (Britain and Italy) के साथ साझा रूप से अगली पीढ़ी के लड़ाकू जेट विकसित करना चाहता है। इसके तहत जापान-अमेरिका (Japan-America) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित मित्सुबिशी एफ-एक्स लड़ाकू जेट एफ-2 की जगह नई पीढ़ी के विमान बनाए जाएंगे। पीएम फुमियो किशिदा ने इस घोषणा से ठीक चार दिन पूर्व अगले 5 वर्षों के रक्षा खर्च में भी भारी वृद्धि की घोषणा की। जापान के ये कदम चीन के लिए बड़ा झटका माने जा रहे हैं।
लड़ाकू विमानों (fighter jets) के विकास को लेकर जापान का ब्रिटेन व इटली का यह समझौता चीन की बढ़ती ताकत से मुकाबले के लिए उसके लिए खास महत्व रखता है। अब जापान के एफएक्स और ब्रिटेन के टेम्पेस्ट को 2035 में तेनाती के लिए अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में जोड़ा जाएगा। इस समझौते से ब्रिटेन को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बड़ी मौजूदगी मिल सकेगी। जापान में 43 खरब येन (316 अरब डॉलर) के पंचवर्षीय खर्च को पूरा करने के लिए सरकार को सालाना रक्षा खर्च में 4 खरब येन (30 अरब डॉलर) की अतिरिक्त जरूरत होगी जिसे एक चौथाई कर वृद्धि से पोषित किया जाएगा। 1945 के द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद देश की आत्मरक्षा नीति में यह एक बड़ा बदलाव है। इसका मकसद चीन और उत्तर कोरिया से बढ़ते खतरों का मुकाबला करने के लिए जापान की ताकत बढ़ाना है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में खास है समझौता
यह समझौता हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific region) के लिए बेहद खास है। इसके मुताबिक, प्रोजेक्ट में ब्रिटेन के नेतृत्व वाला फ्यूचर काम्बैट एयर सिस्टम भी शामिल किया जाएगा। इसके अलावा जापान के एफएक्स कार्यक्रम को भी इसमें जगह मिलेगी। तीनों देशों में यह समझौता ऐसे वक्त पर हुआ है जब रूस-यूक्रेन में जंग जारी है और चीन ने ताइवान व जापान के खिलाफ आक्रामक सैन्य कार्रवाई तेज कर दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि जापान इस डील से पड़ोसी चीन के खतरे से निपट सकेगा। साथ ही ब्रिटेन की भी इस इलाके की सुरक्षा में भूमिका भी बढ़ जाएगी जो वैश्विक आर्थिक विकास में अहम योगदान देता है।
अमेरिका को भी बड़ा संदेश
इस डील के जरिये जापान ने अपने दोस्त और सहयोगी अमेरिका को भी बड़ा संदेश दिया है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार अमेरिका को छोड़ जापान इतने बड़े रक्षा प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा है। जापान ने पहले अमेरिका की कंपनी लॉकहीड मार्टिन को इसके लिए चुना था लेकिन बाद में अब उसने ब्रिटेन और इटली के साथ हाथ मिला लिया है। जापानी विशेषज्ञों का कहना है कि 2035 तक चीन के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट को टक्कर देने के लिए एक अत्याधुनिक फाइटर जेट बनाना बहुत ही चुनौती वाला काम होगा।
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