टोक्यो (Tokyo)। जापान (Japan) में विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित (स्टेम) से जुड़े क्षेत्रों में लड़कियों की भारी कमी (stem segments acute shortage of girls) है। वजह यह वहम है कि स्टेम में काम करने वाली स्मार्ट लड़कियां शादी (smart girls don’t marry) नहीं करती हैं। दूसरे शब्दों में कहें, तो स्टेम क्षेत्रों में काम करने वाली लड़कियों के लिए शादी और बच्चे कलंक की तरह होते हैं। इस कारण उनके कॅरियर में तरक्की रुक जाती है। यही वजह है कि ज्यादातर लड़कियां इस क्षेत्र से दूर रहती हैं। जो आती हैं वे शादी नहीं करती। इस वजह से परिवार लड़कियों पर दबाव बनाते हैं कि वे स्टेम से बाहर कॅरियर बनाएं।
जापान के लिए यह दोहरी समस्या है। एक तरफ जापान में जन्मदर ऋणात्मक (negative birth rate) हो चुकी है। इससे उबरने के लिए सरकार युवाओं (youth) को शादी करने और ज्यादा बच्चे पैदा (marry and more children) करने के लिए प्रोत्साहित (Encourage) कर रही है। वहीं, स्टेम में लड़कियों की कमी से जापानी कंपनियां मानने लगी हैं कि वे नवोन्मेष, उत्पादकता और प्रतिस्पर्धा के क्षेत्रों में दुनिया से पीछे छूट रहे हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी लगातार घट रही है।
जापान के शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेज, टोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग तृतीय वर्ष की छात्रा यूना काटो शोध में करियर बनाना चाहती हैं। लेकिन, उन्हें लगता है कि अगर उन्होंने शादी की और बच्चे पैदा किए, तो उनका कॅरियर जल्द खत्म हो जाएगा। काटो का कहना है कि रिश्तेदार भी यही सलाह देते हैं कि परिवार बनाना है, तो स्टेम से बाहर कॅरियर बनाओ। यह चलन जापान के लिए मुश्किल का सबब बन गया है। इसके चलते अकेले आईटी क्षेत्र में 2030 तक जापान में 7,90,000 कर्मचारियों की कमी होगी। टोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की उप प्रमुख जुन इचि इमूरा कहती हैं, हमें 2050 का लक्ष्य ध्यान में रखकर इस कमी को पूरा करना चाहिए।
लड़कियों के लिए कोटा बनाया
जापान में पहली बार सरकार ने स्टेम पाठ्यक्रमों में लड़कियों के लिए कोटा तय किया है। जापानी समाज के लिए पूरी तरह से नया होगा, क्योंकि अब तक इन क्षेत्रों में लड़कों को महत्व दिया जाता था। जापान का निजी क्षेत्र भी अपने स्तर पर स्टेम में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। मित्सुबिशी व टोयोटा जैसी कंपनियां स्टेम पाठ्यक्रमों के लिए लड़कियों को छात्रवृत्ति दे रही हैं। निजी क्षेत्र कमी महसूस कर रहा है।
विकसित देशों में जापान पीछे
ओईसीडी के मुताबिक, जापानी लड़कियां गणित में दुनिया में दूसरे स्थान पर और विज्ञान में तीसरे स्थान पर हैं। लेकिन, स्टेम कार्यक्षेत्रों में समग्र लैंगिक समानता के मामले में जापान की रैंकिंग इस वर्ष गिरकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई है। असल में विकसित देशों में जापान अंतिम स्थान पर है, जहां विश्वविद्यालय स्तर पर सिर्फ 16 फीसदी छात्राएं इंजीनियरिंग, विनिर्माण और निर्माण की पढ़ाई कर रही हैं। यहां हर सात में से केवल एक महिला वैज्ञानिक है।
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