नई दिल्ली: दुनिया का पहला लकड़ी का सैटेलाइट (Wooden Satellite) जापान ने बनाकर अंतरिक्ष में रवाना कर दिया है. यह हथेली के बराबर का सैटेलाइट यानी लिग्नोसैट (LignoSat) को पहले इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station) ले जाया जाएगा. इसके बाद उसे 400 किलोमीटर ऊंचाई वाली ऑर्बिट में छोड़ दिया जाएगा. लॉन्चिंग स्पेसएक्स के रॉकेट से किया गया है.
जापान (Japan) यह जानना चाहता है कि क्या लकड़ी से बना सैटेलाइट अंतरिक्ष में सर्वाइव कर पाता है या नहीं. अगर यह सर्वाइव करता है तो भविष्य में लकड़ी की मदद से चंद्रमा, मंगल जैसे ग्रहों पर इंसानों के लिए घर बनाना आसान हो जाएगा. क्योंकि लकड़ी किसी भी अन्य धातु की तुलना में हल्की होती है. रीन्यूएबल होती है.
जापान के एस्ट्रोनॉट ताकाओ दोई ने कहा कि अगर लिग्नोसैट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन और अंतरिक्ष के रेडिएशन को बर्दाश्त कर लेता है, तो भविष्य में इससे काफी मदद मिलेगी. टिंबर को चंद्रमा और मंगल ग्रह पर उगाने की तैयारी की जा रही है. अगले 50 साल में ये काम भी किया जा सकता है. नासा ने इस सैटेलाइट को बनाने में मदद की है.
क्योटो यूनिवर्सिटी के फॉरेस्ट साइंटिस्ट प्रोफेसर कोजी मुराता ने कहा कि 1900 के शुरुआती विमान तो लकड़ी से ही बनते थे. इसलिए लकड़ी का सैटेलाइट बनाना संभव है. लकड़ी अंतरिक्ष में ज्यादा समय तक टिकी रहेगी. क्योंकि अंतरिक्ष में उसे जलाने या सड़ाने के लिए कोई पानी, हवा, ऑक्सीजन या आग नहीं है.
इस सैटेलाइट को होनोकी नाम के पेड़ की लकड़ी से बनाया गया था. यह मैग्नोलिया प्रजाति का पेड़ है. यह दस महीने का एक्सपेरिमेंट है. दस महीने यह सैटेलाइट स्पेस स्टेशन में रहेगा. इसके बाद इसे अंतरिक्ष में छोड़ दिया जाएगा. फिर यह छह महीने तक ऑर्बिट में घूमता रहेगा. इस दौरान इसके इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों को ऑन करके उनके काम को देखा जाएगा. माइनस 100 से 100 डिग्री सेल्सियस तापमान की जांच की जाएगी. हर 45 मिनट में इस सैटेलाइट की सेहत जांची जाएगी.
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