पन्ना: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के पन्ना में स्थित श्री बल्दाऊ जी का मंदिर (Shri Baldau Ji Temple) भक्तों की विशेष आस्था का केंद्र है. इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई श्री बल्दाऊ जी की विशाल शालिग्राम प्रतिमा विराजमान है. शेषावतार बल्दाऊ जी का जन्मोत्सव आज देश के एकमात्र श्री बलदेव जी मंदिर, पन्ना में पूरी भव्यता और श्रद्धा के साथ मनाया गया. श्री बलदेव जी, जिनके एक हाथ में हल और दूसरे हाथ में मूसल है, की शालिग्राम पत्थर की प्रतिमा यहां स्थापित है.
श्री बलदेव जन्मोत्सव, जिसे हरछठ महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, इस त्यौहार को लेकर जन-जन में उत्सुकता और उत्साह रहता है. हरछठ महोत्सव का प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है. इस बार भी पन्ना के श्री बलदेव जी मंदिर में हरछठ महोत्सव की धूम देखने को मिली और बड़ी संख्या में पन्ना ही नहीं बल्कि दूर-दूर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस महोत्सव में शामिल होने आए.
इस महोत्सव में श्री बलदेव जी मंदिर को बड़े ही आकर्षक ढंग से सजाया गया है. दोपहर ठीक 12 बजे भक्तों को बड़े इंतजार के बाद भगवान के दर्शन हुए. भक्त कई घंटों पहले से भगवान के दर्शन का इंतजार कर रहे थे. पन्ना जिले में इस महोत्सव का एक अलग ही महत्व है. श्री बलदेव जी मंदिर का महत्व इसलिए और भी अधिक बढ़ जाता है क्योंकि इस संरचना जैसा मंदिर पूरे विश्व में कहीं और नहीं है. यह अपने आप में अनूठा और एकमात्र मंदिर है.
यह मंदिर 16 कलाओं से परिपूर्ण है जिसमें प्रवेश द्वार में 16 सीढ़ियां, अंदर प्रवेश करने पर 16 विशाल पिलर एवं 16 दरवाजे, मंदिर के ऊपर 16 गुम्बदें, और 16 खिड़कियां बनी हुई हैं. साथ ही, निर्माण संबंधी 1933 का वर्ष संधि विग्रह करते समय यह स्पष्ट होता है कि अग्नि के 3 प्रकार—दैहिक, दैविक और भौतिक—आकाश, पाताल, धारा की त्रयी, शरीर के 9 छिद्र और पृथ्वी को मिलाकर 16 की गणना होती है. यहां यह उल्लेखनीय है कि रियासत काल में पन्ना के महाराजा रुद्र प्रताप सिंह वृंदावन गए थे, जहां की प्रकृति अत्यंत हरी-भरी थी. वे अपने साथ अपार धन संपदा लेकर गए थे, जिसे उन्होंने वहां के ब्राह्मणों को दान में दे दिया. इस मंदिर का निर्माण सन 1876 में कराया गया. भगवान श्री बलदेव जी के अनेक नाम हैं, जिनके अस्त्र-शस्त्र हल और मूसल हैं, और जिन्हें कृषि देवता एवं भगवान शेषनाग का अवतार भी कहा जाता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बलदेवजी मंदिर का बाहरी डिज़ाइन लंदन के सेंट पॉल चर्च जैसा बताया जाता है. मंदिर की वास्तुकला रोमन डिज़ाइन से प्रेरित है और इसमें गॉथिक अनुभव (The Gothic Experience) है. इसमें एक बड़ा हॉल है जिसे महा मंडप के नाम से जाना जाता है, जो भव्य स्तंभों द्वारा समर्थित है, और इसे एक ऊंचे मंच पर बनाया गया है, जिससे भक्तों को मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर से भी दर्शन करने को मिलता है.
महाप्रलय के समय सम्पूर्ण विश्व को अपने मस्तक पर धारण करने वाले सभी नागों के नागराज, प्रलय के समय 400 योजन दूर गई यमुना जी को अपने हल से खींच लेने वाले भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई, जिन्हें बल्दाऊ जी के नाम से जाना जाता है. हरछठ महोत्सव में भगवान श्री बलदेव जी का जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें दूर-दूर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु बड़े ही भक्ति भाव से इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं. भगवान बलदेव जी ने अकाल के समय स्वयं कृषि कार्य करके किसानों को खेती करने का मार्ग दिखाया था.
पन्ना में रियासत कालीन महाराजा रुद्र प्रताप सिंह बड़े ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे, जिन्होंने 1933 सम्बत यानी सन 1876 में इस भव्य और अद्वितीय मंदिर का निर्माण कराया था. यह मंदिर भक्तों की अनन्य आस्था का केंद्र है. ऐसा भी कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण के लिए इटली से इंजीनियरों को बुलाकर मंदिर की डिज़ाइन बनाई गई थी. भारत ही नहीं बल्कि विश्व में यह मंदिर अद्वितीय है, साथ ही भगवान बलदेव जी की प्रतिमा शालिग्राम पत्थर से निर्मित है.
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