भोपाल। भादों महीने का मुख्य पर्व जन्माष्टमी में इस बार नक्षत्र और तिथि एक साथ नहीं हैं। ऐसे में पर्व को 11 या 12 अगस्त को मनाने को लेकर असमंजस बना हुआ है। लेकिन ज्योतिषियों का कहना है कि 12 अगस्त को उदया तिथि के साथ ही रात में रोहिणी नक्षत्र लग रहा है। ऐसे में 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना शुभ फलदायी रहेगा। इसी दिन मंदिरों में भी नंदलाला का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस बार जन्माष्टमी की तारीख को लेकर कई मत हैं। जन्माष्टमी 11 अगस्त मंगलवार के दिन है या 12 अगस्त को। हालांकि 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ बताया जा रहा है। क्योंकि 11 अगस्त को सुबह 6:08 बजे के बाद अष्टमी तिथि का आरंभ हो जाएगा। जो 12 अगस्त को सुबह 7:54 बजे तक रहेगी। वहीं रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 12 अगस्त को रात 1:20 बजे से 13 अगस्त को रात 3:06 बजे तक रहेगा।
स्मार्त और वैष्णवों का अलग मत:
स्मार्त और वैष्णवों के विभिन्न मत होने के कारण तिथियां अलग-अलग बताई जा रहीं हैं। श्रीकृष्ण भक्त दो प्रकार के होते हैं। स्मार्त और वैष्णव। स्मार्त भक्तों में वह हैं जो गृहस्थ जीवन में रहते हुए जिस प्रकार अन्य देवी-देवताओं का पूजन, व्रत स्मरण करते हैं। उसी प्रकार भगवान श्रीकृष्ण का भी पूजन करते हैं। जबकि वैष्णवों में वो भक्त आते हैं जिन्होंने अपना जीवन भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित कर दिया है। वैष्णव श्रीकृष्ण का पूजन भगवान की प्राप्ति के लिए करते हैं। स्मार्त भक्तों का मानना है कि जिस दिन तिथि है उसी दिन जन्माष्टमी मनानी चाहिए। स्मार्तों के मुताबिक अष्टमी 11 अगस्त को है। जबकि वैष्णव भक्तों का कहना है कि जिस तिथि से सूर्योदय होता है पूरा दिन वही तिथि होती है। ऐसे में अष्टमी तिथि में सूर्योदय 12 अगस्त को होगा।
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