उज्जैन। प्रदेश के साथ-साथ जिले में संचालित जननी एक्सप्रेस सेवा को बंद कर दिया गया है। इस सेवा के बंद होने का सबसे ज्यादा असर ग्रामीण इलाकों पर पड़ा है। सेवा बंद होने से गाँवों से डिलेवरी के लिए शहर आने हेतु गर्भवती महिलाओं की समस्या बढ़ गई है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि सेवा बंद होने का असर नहीं होने दिया जाएगा। इधर शहरों के साथ-साथ गाँवों की गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक आने में परेशानी होने लगी है। उल्लेखनीय है कि उज्जैन जिले में चरक अस्पताल सहित कुल 17 वाहन 108 जननी एक्सप्रेस सेवा के संचालित हो रहे थे। इनमें 4 वाहन शहरी क्षेत्र के थानों से अटैच थे, जबकि बाकी के 13 वाहन ग्रामीण इलाकों में थानों के पास खड़ रहते थे तथा फोन पर सूचना आते ही प्रसूताओं से लेकर नवजात शिशुओं को सरकारी अस्पतालों तक पहुँचाते थे। यह सेवा पिछले दो दिनों से बंद है। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत जननी एम्बुलेंस के संचालन का ठेका जिकित्सा हेल्थ केयर कंपनी को दिया गया था।
वेंडर्स के माध्यम से यह ठेका कंपनी एम्बुलेंस चला रही थी। अधिकारियों के अनुसार कंपनी से यह अनुबंध 8 सितम्बर 2021 को समाप्त हो गया था परंतु भुगतान नहीं होने के कारण ठेके की अवधि 3 महीने और बढ़ाई गई थी। इसके बावजूद भी 16 करोड़ का भुगतान अटका होने के कारण यह सेवा बंद कर दी गई है। इस बारे में स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि जननी एम्बुलेंस सेवा के बंद होने का असर स्वास्थ्य सेवाओं पर नहीं पडऩे दिया जाएगा। यह दावा पहले ही दिन खोखला साबित हुआ, क्योंकि चरक अस्पताल में कल जितनी भी प्रसूताएँ आई उन्हें परिजन या तो ऑटो या अन्य निजी वाहनों से लेकर आए। इस सेवा के बंद होने का सबसे ज्यादा प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में पड़ा है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved