न्यूयॉर्क (New York)। संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) की 68वीं पूर्ण बैठक में भारत (India) के स्थायी मिशन के काउंसलर (Counselor of Permanent Mission) प्रतीक माथुर (Prateek Mathur) ने कश्मीर मुद्दे (Kashmir issue) पर पाकिस्तान (Pakistan) को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग थे, हैं और रहेंगे। किसी भी देश की ओर से प्रसारित की जानी वाली गलत सूचना, बयानबाजी और प्रचार इस तथ्य को नकार नहीं सकते हैं।
यूएनएससी में सुधार की वकालत करते हुए भारतीय राजनयिक माथुर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) द्वारा ‘वीटो पहल’ को अपनाए हुए एक साल बीत चुका है। वीटो पर भारत की स्थिति सुसंगत और स्पष्ट रही है। यूएनजीए ने 2008 में सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की थी कि वीटो के सवाल सहित यूएनएससी सुधार के सभी पांच पहलुओं को व्यापक तरीके से तय किया जाएगा।
उन्होंने तर्क दिया कि सभी पांच स्थायी सदस्यों ने पिछले 75 वर्षों में अपने संबंधित राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए वीटो का इस्तेमाल किया है। काउंसलर माथुर ने अफ्रीकी देशों के हवाले से कहा कि हमारे अफ्रीकी भाइयों ने आईजीएन में बार-बार कहा है कि वीटो को सैद्धांतिक रूप से समाप्त कर दिया जाना चाहिए।
आगे कहा कि वीटो का उपयोग करने का विशेषाधिकार केवल पांच सदस्य देशों में निहित किया गया है। जैसा कि हमारे अफ्रीकी भाइयों द्वारा सही कहा गया है, यह राज्यों की संप्रभु समानता की अवधारणा के खिलाफ जाता है और केवल द्वितीय विश्व युद्ध की मानसिकता को कायम रखता है।
काउंसलर माथुर ने कहा कि मतदान के अधिकार के संदर्भ में या तो सभी देशों के साथ समान व्यवहार किया जाता है या फिर नए स्थायी सदस्यों को भी वीटो दिया जाना चाहिए। नए सदस्यों के लिए वीटो के विस्तार का विस्तारित परिषद की प्रभावशीलता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा
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