कठुआ । शाहपुरकंडी बांध परियोजना (Shahpurkandi Dam Project) से 15 फरवरी तक जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) को उसके हक का पानी (Water) मिलना शुरू हो जाएगा। पाकिस्तान (Pakistan) को जाने वाला पानी पूरी तरह से बंद हो जाएगा। बांध के जलाशय को भरने का काम युद्धस्तर पर जारी है। एक माह में जलाशय छह मीटर तक भरा गया है। वर्तमान में जलस्तर 386 मीटर पहुंच गया है। सब सही रहा तो 15 फरवरी तक जलस्तर 398 मीटर को पार कर लेगा। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर की 32 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई शुरू हो जाएगी।
यह समय इसलिए भी खास रहेगा, चूंकि पिछले तीन वर्ष से फरवरी में ही कठुआ और सांबा जिलों में पारा सामान्य के पार पहुंचने लगा है। ऐसे में फसलों के समय से पहले पकने की समस्या रही है। उस पर मरम्मत के लिए जम्मू-कश्मीर की नहरबंदी आग में घी डालने का काम करती रही है। इससे किसान नुकसान झेल रहे हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। फरवरी, 2025 से हेड रेग्यूलेटर के 398 मीटर के जलस्तर को छूने के साथ ही जम्मू-कश्मीर की नहरों में पानी छोड़ा जा सकेगा। इसके बाद देश की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक शाहपुरकंडी बांध परियोजना से जम्मू-कश्मीर के कठुआ व सांबा जिले के किसानों को पानी मिलने लगेगा।
बांध प्रबंधन के अनुसार, मंजूरी मिलने के साथ ही जलस्तर बढ़ाया जा रहा है। 404.5 मीटर तक जलस्तर को बढ़ाया जाएगा। इस समय पानी के कम बहाव के बाद भी जलभराव तय शेड्यूल के अनुसार जारी है। 390 मीटर का जलस्तर तैयार होने के साथ ही नोरा का पुराना पुल भी जलाशय में समा जाएगा।
शाहपुरकंडी परियोजना के तैयार होने से पहले रंजीत सागर झील से आने वाले रावी दरिया के पानी को नियंत्रित कर भंडारण की व्यवस्था नहीं थी। यह पानी सीधा पंजाब की नहरों और पाकिस्तान की ओर निकल जाता था। रंजीत सागर बांध से सर्दियों के इस मौसम में बिजली उत्पादन के बाद शेष बचे पानी को अब जलाशय में रोकने का काम शुरू कर दिया गया है। उधर, जम्मू-कश्मीर के हिस्से में फिलहाल एक्वडक्ट और नहर के कनेक्शन का काम बाकी है। दावा है कि यह भी अगले वर्ष फरवरी तक पूरा कर लिया जाएगा। सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता राजीव कुमार ने बताया कि शाहपुरकंडी बांध परियोजना में जलाशय को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
लिफ्ट इरिगेशन का खत्म होगा झंझट सालाना आठ करोड़ की होगी बचत
जम्मू-कश्मीर में कठुआ और सांबा जिलों को रावी दरिया से अब तक मिलने वाला पानी 80 के दशक से दो महत्वपूर्ण लिफ्ट सिंचाई योजनाओं से मिलता रहा। इसमें बसंतपुर और लखनपुर लिफ्ट सिंचाई योजना शामिल है। लिफ्ट से सिंचाई के लिए हर साल अपने ही हक के पानी के लिए जम्मू-कश्मीर को औसतन आठ करोड़ रुपये का खर्च आता रहा। शाहपुरकंडी परियोजना से जम्मू-कश्मीर की नहरों को सीधा हेड रेग्यूलेटर से पानी मिलने के बाद सालाना आठ करोड़ के खर्चे से निजात मिल जाएगी। पहले से ही स्टाफ की कमी झेल रहे विभाग को अन्य महत्वपूर्ण गेट्स और बैराज के लिए स्टाफ उपलब्ध रहेगा।
-जगतार सिंह, एक्सईएन, रावी-तवी इरिगेशन कांप्लेक्स, मेकेनिकल विंग
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