श्रीनगर (Srinagar) । जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के अनंतनाग जिले (Anantnag district) में जंगलों और एक तरफ पहाड़ी (forest and hill) तथा दूसरी तरफ गहरी खाई के बीच फंसे सुरक्षा बल (security forces) के जवान मुठभेड़ में फंसे आतंकवादियों (terrorists) से जूझ रहे हैं। उनके पास हथियारों, गोला-बारूद और भोजन की कोई कमी नहीं है। यहां सुरक्षाबलों को एक कठिन लड़ाई का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि आतंकवादी पहाड़ी की चोटी पर एक गुफा में छिपे हुए हैं। वहां तक जाने का रास्ता काफी संकीर्ण है। मुठभेड़ में कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष ढोंचक और पुलिस उपाधीक्षक हिमायूं भट शहीद हो गए।
सूत्रों ने बताया कि सुरक्षाबलों को सबसे पहले मंगलवार रात कोकेरनाग के गडुल जंगलों में आतंकवादियों के छिपे होने की खुफिया जानकारी मिली। तलाशी अभियान चलाया गया, लेकिन आतंकियों का पता नहीं चल सका। तभी सेना और पुलिस के जवानों की संयुक्त टीम को सूचना मिली कि आतंकवादी एक पहाड़ी की चोटी पर हैं।
पहाड़ी तक जाने का रास्ता काफी कठिन
बुधवार तड़के सेना ने आतंकियों पर हमला करने का फैसला किया। एक सूत्र ने कहा, “पहाड़ी की चोटी पर पहुंचने के लिए सुरक्षाबलों को जो रास्ता अपनाना पड़ता है वह काफी चुनौतीपूर्ण है। यह बहुत संकरा है और एक तरफ पहाड़ और घना जंगल है और दूसरी तरफ गहरी खाई है। हालांकि सुरक्षाबलों ने चढ़ाई शुरू की। रात के घने अंधेरे में यह रास्ता और कठिन साबित हुआ।”
आतंकियों को मिल रहा फायदा
जैसे ही सेना गुफा के पास पहुंची कि आतंकवादियों को उनकी स्पष्ट झलक मिल गई। उन्होंने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। संकरे रास्ते पर फंसे होने के कारण उनके पास जवाबी कार्रवाई का कोई रास्ता नहीं था। उनके पास कोई कवर भी नहीं था।
आतंकवादियों की फायरिंग में 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, कंपनी कमांडर मेजर धोंचक और डिप्टी एसपी भट्ट गोलीबारी में घायल हो गए। सूत्रों ने कहा कि गोलियों की बौछार और चुनौतीपूर्ण रास्ते के कारण उन्हें बाहर निकालना असंभव हो गया। उन्हें सुबह ही अस्पताल ले जाया जा सका।
72 घंटों से जारी है मुठभेड़
मुठभेड़ शुरू हुए करीब 72 घंटे हो गए हैं। सेना ने पहाड़ी को घेर लिया है। सूत्रों ने कहा कि इजराइल से खरीदे गए हेरोन ड्रोन का उपयोग करके विस्फोटक गिराए जा रहे हैं। रॉकेट लॉन्चर का इस्तेमाल किया जा रहा है। जवान गोलीबारी कर रहे हैं, लेकिन सेना अभी भी भौगोलिक चुनौती के कारण इस इलाके को कंट्रोल करने में सक्षम नहीं है।
कोई सामान्य आतंकवादी नहीं
सूत्रों के मुताबिक, आतंकियों की संख्या 2-3 से ज्यादा होने की संभावना है। इनमें उजैर खान भी शामिल है, जो पिछले साल लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुआ था। उन्होंने कहा कि उसे इलाके के बारे में पूरी जानकारी है, जिसका फायदा आतंकियों को हो रहा है। सूत्र ने कहा, “साधारण आतंकवादी किसी मुठभेड़ को इतने लंबे समय तक नहीं खींच सकते। ये बहुत अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं और उनके पास अच्छे हथियार हैं। यह भी संभव है कि किसी मुखबिर ने सेना को धोखा दिया हो या किसी ने उनकी गतिविधियों को लीक कर दिया हो। जो भी हो इसे खत्म किया जा रहा है। यह ऑपरेशन एक बड़ी चुनौती बन गया है।”
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