श्रीनगर। अफगानिस्तान (Afghanistan) से अमेरिकी सेना (US Army Returns) की घर वापसी का असर कश्मीर में दिखना शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि लौटते समय जो हथियार अमेरिकी सेना अफगानिस्तान छोड़ (Weapons that US forces leave Afghanistan) गई थी, उसे अब तालिबानी बेच रहे हैं। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार यह हथियार चीन और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (Pakistani intelligence agency ISI) खरीद रही है। आईएसआई इन हथियारों को कश्मीर भेजे जा रहे आतंकियों को दे रही है। इसके संकेत हाल ही में स्थानीय कश्मीरी आतंकी संगठन पीपुल्स एंटी फासिस्ट फोर्स (पीएएफएफ) के सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो से मिले हैं।
वायरल वीडियो में आतंकियों को अमेरिका निर्मित हथियार और गोला.बारूद का उपयोग करते देखा जा सकता है। इतना ही नहीं आतंकी संगठन ने अपने कुछ आतंकियों की हथियारों के साथ तस्वीरें भी अपलोड की हैं। उनका दावा है कि उन्होंने इसका इस्तेमाल भारतीय सेना के खिलाफ हाल ही में पुंछ में हुए हमले में किया है, जिसमें सेना के 9 जवान शहीद हुए थे। सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार इस वीडियो में आतंकियों को एम 249 ऑटोमेटिक राइफल्स, 509 टैक्टिकल गन, एम 1911 पिस्टल और एम4 कार्बाइन असॉल्ट राइफल इस्तेमाल करते हुए देखा जा सकता है। इन सभी हथियारों का इस्तेमाल अमेरिकी सेना भी कर रही है।
जिस समय अमेरिकी सेना अफगानिस्तान छोड़कर वापस लौटी थी तो रक्षा विशेषज्ञों ने संकेत दिए थे कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का असर कश्मीर की स्थिति पर जरूर पड़ेगा। अब जब यह वीडियो वायरल हुआ है तो इससे यह संकेत मिल रहे हैं कि कश्मीर में आतंकियों को अमेरिका निर्मित अत्याधुनिक हथियार मिल रहे हैं जो अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना द्वारा छोड़े गए थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी सैनिकों ने जब अफगानिस्तान छोड़ा तो 80 मिलियन अमरीकी डालर के हथियार छोड़ गए। इसमें 6 लाख से अधिक अत्याधुनिक छोटे हथियार जैसे राइफल, मशीन गन, पिस्तौल, ग्रेनेड लांचर और आरपीजी हैं। इसके अलावा सर्विलांस इक्विपमेंट, रेडियो सिस्टम, ड्रोन, नाइट विजन गॉगल्स आदि भी इन सब में शामिल हैं।
आतंकी संगठन नार्कोटेरर से मिले धन से खरीद रहे हथियार
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान ने अब अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए काबुल और उसके आसपास के इलाकों में सभी हथियारों को खुली बिक्री के लिए रख दिया है। इसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और चीन ने खरीदा है। पाकिस्तान इसे जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों को प्रदान करता है।
जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) अनिल गुप्ता ने कहा, एक ऐतिहासिक घटना पड़ोसी अफगानिस्तान में हुई, जब अमेरिका ने अफगान नेशनल आर्मी के हाथों में बड़ी मात्रा में नवीनतम हथियार और गोला बारूद छोड़कर अपने सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला किया। इस उम्मीद के तहत कि वे तालिबान के खिलाफ खड़े होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अफगान सेना ताश के पत्तों की तरह बिखर गई, जिसके अधिकांश जवानों ने अपनी इकाइयों या पदों को हथियारों के साथ छोड़ दिया।
ब्रिगेडियर गुप्ता के मुताबिक भारत में सक्रिय आतंकी समूहों के आका नार्कोटेरर से प्राप्त धन का उपयोग इन हथियारों को खरीदने कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसने एक बार फिर कश्मीर में आतंकी समीकरण को बदल कर रख दिया है और दहशतगर्दी की आग तेज होने लगी। उन्होंने कहा कि हाल ही में अमेरिका निर्मित असॉल्ट राइफल्स का आतंकियों से बरामद होना सुरक्षाबलों के लिए चिंता का विषय बन गया है। ऐसे हथियार उन आतंकवादियों को बढ़त प्रदान करते हैं।
दो हफ्तों में मारे आतंकियों के पास मिले अमेरिकन हथियार
बता दें, इस वर्ष के शुरूआती दो हफ्तों में ही सुरक्षाबलों द्वारा 14 आतंकियों को मार गिराया गया था, जिनमें से 6 पाकिस्तानी आतंकी थे। मारे गए आतंकियों के पास से अमेरिका निर्मित घातक एम4 कार्बाइन असॉल्ट राइफलें बरामद की गई थीं। इससे एक बात यह साफ हो जाती है कि आतंकियों के पास ऐसे अत्याधुनिक हथियारों का होना सुरक्षाबलों के लिए एक नई और बड़ी चुनौती है। इसलिए अब भारतीय सेना के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस को आतंकवादियों का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी निर्मित सिग सॉयर 716 राइफल्स और सिग सॉयर एमपीएक्स 9 एमएम पिस्तौल मिल रही है। जम्मू-कश्मीर पुलिस देश की पहली ऐसी पुलिस फोर्स बनेगी जिसके पास ऐसे अत्याधुनिक हथियार होंगे जिससे वह और दृढ़ता से आतंकवाद का मुकाबला और उसका सफाया करेगी।
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