नई दिल्ली । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली से गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में बनाए गये छह पुल राष्ट्र को समर्पित किये। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने जम्मू और कश्मीर में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पुलों का निर्माण किया है। इन पुलों का निर्माण दुश्मनों द्वारा निरंतर सीमा पार गोलीबारी के बावजूद समय पर पूरा कर लिया गया है। इनके जरिये सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की आवाजाही में आसानी होगी और सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों का समग्र आर्थिक विकास हो सकेगा। चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव को देखते हुए भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए सीमावर्ती इलाकों में सड़कों और पुलों का निर्माण कर रहा है, ताकि सुरक्षा बलों की आवाजाही आसान हो सके।
बीआरओ चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह और सेना के अन्य सीनियर अधिकारियों की मौजूदगी में उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित किया गया। स्थानीय सांसद एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह लोकार्पण के दौरान मौजूद रहे। कोरोना संकट के बीच भी लॉकडाउन घोषित होने के साथ ही बीआरओ ने तीन बड़े पुल तैयार कर लिये थे। इन 6 पुलों में से 4 अखनूर सेक्टर में हैं, जिनमें पलवान पुल, घोड़ावाला पुल, पहाड़ीवाला पुल और पनीयाली पुल हैं। इसके अलावा जम्मू सेक्टर में बीआरओ ने राजपुरा रोड पर 160 मीटर लंबे और बोबिया रोड एनएच-44 पर 300 मीटर लम्बे पुल का निर्माण कार्य पूरा किया है। इन सभी छह पुलों की लागत 43 करोड़ रुपये की है। तेज बरसात से पहले इन पुलों का उद्घाटन होने से सीमा क्षेत्र में बसे गांवों और ग्रामीणों को इसका फायदा मिलेगा।
इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने कहा कि बीआरओ द्वारा बनाए गए 06 पुलों के डिजिटल उद्घाटन के अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित होने पर मुझे बड़ी खुशी हो रही है। मैं स्थानीय लोगों और बीआरओ के कर्मचारियों सहित सभी देशवासियों को बधाई देते हुए इन पुलों को आप सभी को समर्पित करता हूं। जिस दौर में दुनिया दूरी बनाए रखने पर जोर दे रही हो, एक दूसरे से अलग-थलग रह रही हो, ऐसे दौर में लोगों को ‘जोड़ने वाले’ इन पुलों का उद्घाटन करना एक सुखद अनुभव की बात है। इस महत्वपूर्ण कार्य को बड़ी कुशलता के साथ पूरा करने के लिए सीमा सड़क संगठन का हर अधिकारी और कर्मचारी बधाई का पात्र है। बीआरओ दूर-दराज के इलाकों का विकास करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। देश के सीमावर्ती इलाकों में सड़कों और पुलों का लगातार निर्माण किया जा रहा है क्योंकि सड़कें किसी भी राष्ट्र की जीवन रेखा होती हैं।
उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें न केवल सामरिक ताकत होती हैं, बल्कि दूरदराज़ के क्षेत्रों को मुख्य धारा के साथ जोड़ने का भी कार्य करती हैं। इस तरह खाद्य आपूर्ति, सशस्त्र बलों की सामरिक आवश्यकता हो या अन्य विकास के काम, ये सभी कनेक्टिविटी से ही संभव हो पाते हैं। मैं समझता हूं कि सुदूर क्षेत्रों के विकास में ही देश का भी विकास छुपा हुआ है। ठीक वैसे ही, जैसे किसी पहिये की धुरी, यानी उसका केंद्र तभी आगे बढ़ पाता है जब उसकी परिधि आगे बढ़ती है। इस तरह देश के सर्वांगीण विकास में आप लोगों का बहुत अहम योगदान है। इन पुलों के बनने से स्थानीय लोगों को राहत मिलेगी और समय पड़ने पर सेना के काफ़िले तेजी से बढ़ सकेंगे। लगभग 217 गांवों के लगभग 4 लाख लोगों को इन पुलों के निर्माण से सीधा फायदा होगा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि बीआरओ ने नवीनतम तकनीकों और अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करके पिछले दो वर्षों के दौरान 2200 किलोमीटर से अधिक सड़कों की कटिंग, लगभग 4200 किलोमीटर की सड़कों की सरफेसिंग और लगभग 5800 मीटर स्थायी पुलों का निर्माण किया है। लॉकडाउन की अवधि के दौरान भी बीआरओ ने उत्तर पूर्वी राज्यों, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में निरंतर कार्य किया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की जम्मू-कश्मीर के विकास में गहरी दिलचस्पी है। जम्मू-कश्मीर और सशस्त्र बलों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कई अन्य विकास कार्य भी निर्माणाधीन हैं। जम्मू क्षेत्र में इस समय लगभग 1000 किमी. लम्बी सड़कें निर्माणाधीन हैं। मुझे यकीन है कि आधुनिक सड़कों और पुलों के निर्माण से क्षेत्र में समृद्धि आएगीI हमारी सरकार हमारी सीमाओं पर बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराये जाएंगे।
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