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    जम्‍मू कश्मीर : आतंकियों के पास पहुंच रही पाकिस्तानी पिस्तौल शाहीन की खेप, सुरक्षा एजेंसियों को मिला इनपुट

  • January 08, 2022

    जम्‍मू कश्मीर । कश्मीर घाटी (Kashmir Valley) में आतंकियों (terrorists) के पास पाकिस्तानी शाहीन पिस्तौल (Pakistani Shaheen Pistol) व साइलेंसर (silencer) की खेप पहुंचने के इनपुट हैं। श्रीनगर में लक्षित हत्याओं में शामिल द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) तथा अंसार गजवातुल हिंद (एजीएच) के मॉड्यूल के भंडाफोड़ के दौरान भी वीरवार को आतंकियों के पास से मिले पिस्तौल शाहीन बताए जा रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियां (security agencies) अब इस खेप के पहुंचने के रास्ते तथा स्रोत को खंगालने में जुटी हैं। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि हथियार जम्मू के रास्ते दाखिल हुए या फिर सीमापार से जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) की हद में पहुंचाए जा रहे हैं।

    सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि शाहीन पिस्तौल एके 47 की ही तरह बर्स्ट फायर करती है। इसमें 17 गोलियों की मैगजीन का इस्तेमाल किया जाता है। नजदीक से लक्ष्य को निशाना बनाने में अचूक है। इसे रखना और इस्तेमाल करना आसान है। साइलेंसर लगने के बाद पिस्तौल और घातक हो जाती है। इसकी आवाज भी दूर तक नहीं जाती।


    पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर हाइब्रिड आतंकियों को पिस्तौल की खेप दी गई है। पिछले दिनों हुई लक्षित हत्याओं में हाइब्रिड आतंकियों ने पिस्तौल का ही इस्तेमाल किया था। कई हाइब्रिड आतंकी व ओजीडब्ल्यू वर्कर पिस्तौल के साथ पकड़े गए हैं। पिछले साल 40 से अधिक पिस्तौल बरामद की जा चुकी हैं। पाकिस्तानी शाहीन पिस्तौल के बारे में कहा कि सुरक्षा कारणों से विस्तार से यह बताना उचित नहीं होगा कि किस तरह का हथियार है।

    लोग दे रहे आतंकियों के बारे में सूचनाएं
    वहीं, घाटी में बर्फबारी व कड़ाके की ठंड आतंकियों के लिए काल बन गई है। पहाड़ों से नीचे आने पर मैदानी इलाकों में आतंकियों की मौजूदगी के पुख्ता इनपुट मिल रहे हैं और अभियानों में वे मारे जा रहे हैं। साल के पहले सात दिनों में 11 आतंकियों को मार गिराया गया है। सूत्रों ने बताया कि पहाड़ों पर आतंकियों की ओर से मोबाइल फोन का भी इस्तेमाल लगभग न के बराबर किया जाता रहा है।

    इसकी वजह से उनके लोकेशन के विषय में तकनीकी इनपुट नहीं मिल पा रहे थे। लेकिन मैदान में आने पर कुछेक आतंकियों द्वारा मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया जाने लगा है जो सर्विलांस में पकड़ लिए जा रहे हैं। हालांकि, सूत्र बताते हैं कि तकनीकी इनपुट मात्र 25 प्रतिशत ही मिल रहे हैं। ज्यादातर इनपुट मानवीय हैं यानी कि लोगों की ओर से आतंकियों की मौजूदगी की सूचना दी जा रही है, जो सकारात्मक है।

    आईईडी, ग्रेनेड हमले व आतंकी गतिविधियों का इनपुट
    गणतंत्र दिवस के अवसर पर यों तो हर साल आतंकी हमले का खतरा रहता है। इस बार भी सुरक्षा एजेंसियों को इनपुट मिले हैं कि आतंकी तंजीमें आईईडी व ग्रेनेड हमले की साजिश की फिराक में हैं। साथ ही पुलिसकर्मियों की हत्याएं व हथियारों की छिनैती की घटनाओं को भी अंजाम दिया जा सकता है। तमाम इनपुट के बाद सुरक्षा बलों को सतर्क किया गया है। रात में सभी महत्वपूर्ण रास्तों पर नाके बढ़ाकर चेकिंग तेज कर दी गई है। महत्वपूर्ण स्थानों व सुरक्षा प्रतिष्ठानों की भी सुरक्षा बढ़ाई गई है। सुरक्षा बलों को सतर्क रहने को कहा गया है।

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