श्रीनगर (Srinagar) । जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में होने वाले विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) से पहले महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) की पार्टी पीडीपी (PDP) को बड़ा झटका लगा है. कारण, पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता सुहैल बुखारी (Suhail Bukhari) ने मंगलवार को पार्टी छोड़ दी. बुखारी जाहिर तौर पर चुनाव लड़ने का जनादेश नहीं दिए जाने से नाराज थे. उन्हें वगूरा-क्रीरी से चुनाव लड़ने की उम्मीद थी, लेकिन पिछले महीने पूर्व मंत्री बशारत बुखारी के पीडीपी में वापस आने से उनके टिकट मिलने की संभावना कम हो गई.
पत्रकार से नेता बने बुखारी पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के करीबी सहयोगी थे और जब वे मुख्यमंत्री थीं तब उन्होंने उनके मीडिया सलाहकार के रूप में भी काम किया था. पत्रकारों से बात करते हुए बुखारी ने कहा कि वह 2019 में पीडीपी-भाजपा सरकार के पतन के बाद पार्टी में शामिल हुए थे.
पीटीआई के मुताबिक उन्होंने कहा, “यह एक कठिन दौर था और पिछले पांच सालों में मैंने पीडीपी के मूल विचार को मजबूत करने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की है, जो कश्मीर के लोगों की पहचान और अधिकार है. जब पीडीपी को तोड़ने की कोशिश की गई, तो पार्टी कार्यकर्ता टूटे नहीं और सभी उतार-चढ़ावों के दौरान पार्टी के साथ खड़े रहे. युवा और शिक्षित लोग भी पार्टी में शामिल हुए और इसमें योगदान दिया.”
बुखारी ने दरकिनार किए जाने का लगाया आरोप
हालांकि, बुखारी ने आरोप लगाया कि लोगों को उनके बेहतरीन योगदान के बावजूद दरकिनार किया जा रहा है. उन्होंने कहा, “नए नेताओं का स्वागत किया जा रहा है. पार्टी के कई नेता, जो हमेशा पार्टी के साथ खड़े रहे, उन्हें शामिल नहीं किया गया. इसलिए, ऐसी परिस्थितियों में काम करना मेरे लिए मुश्किल हो रहा है. इसलिए, मैंने मुख्य प्रवक्ता और पार्टी की मूल सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है.”
त्राल से एक और नेता ने छोड़ी पीडीपी
इस बीच, त्राल से एक और पीडीपी नेता और डीडीसी सदस्य हरबख्श सिंह ने भी पार्टी छोड़ दी. सिंह पूर्व नेशनल कॉन्फ्रेंस मंत्री और त्राल से सांसद अली मोहम्मद नाइक के बेटे रफीक अहमद नाइक को पीडीपी में शामिल किए जाने से नाराज थे. नाइक को त्राल से पार्टी का टिकट मिलना तय है. हरबख्श सिंह ने कहा कि उन्होंने पार्टी छोड़ दी है और सांसद शेख अब्दुल रशीद की अगुआई वाली अवामी इत्तेहाद पार्टी में शामिल होने की घोषणा की है, जो फिलहाल तिहाड़ जेल में हैं.
उन्होंने कहा कि उन्होंने टिकट न मिलने की वजह से पीडीपी नहीं छोड़ी है. लेकिन एक वरिष्ठ नेता होने के नाते मुझे विश्वास में नहीं लिया गया. उन्होंने कहा कि पीडीपी को 14 साल देने के बावजूद उन्हें त्राल सीट के लिए पार्टी द्वारा लिए गए फैसले के बारे में जानकारी नहीं दी गई.
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