श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के प्रावधानों को हटाए जाने के बाद प्रदेश में भूमि रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में राजस्व विभाग को इस साल जबर्दस्त कमाई हुई है। प्रदेश को मिले विशेषाधिकार को हटाए जाने के बाद जमीनों का रजिस्ट्रेशन करने की प्रक्रिया को न्याय पालिका से राजस्व विभाग को स्थानांतरित कर दिया गया था। अब जानकारी मिली है कि राजस्व पंजीकरण विभाग को इस साल 100 करोड़ की इनकम हुई है।
बता दें कि पिछले साल प्रदेश में नया राजस्व विभाग बनाए जाने के बाद 77 सब-रजिस्ट्रार नियुक्त किए गए थे। इसके बाद साल भर में प्रदेश में 25 हजार भूमि पंजीकरण दर्ज किए गए। सभी पंजीकरण प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण कर दिया गया है। इसके अलावा, स्टाम्प ड्यूटी एडमिनिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को भी पूरी तरह से कम्प्यूटराइज कर दिया गया है। साथ ही ई-स्टांपिंग रूल्स भी तैयार किए गए हैं। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इससे प्रदेश में भू-राजस्व प्रशासन को सरल और सुलभ बनाने में मदद मिलेगी।
प्रदेश में इसके अलावा एक प्रमुख सुधार लखनपुर टोल को बंद करके किया गया है। इस टोल को ग्राहकों के समग्र हित के खिलाफ बताया जा रहा था। इससे जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने वाली वस्तुओं की लागत बढ़ जाती थी। 1 जनवरी 2020 से जम्मू-कश्मीर में लखनपुर एंट्री पॉइंट से प्रवेश करने पर लगने वाले टोल टैक्स की वसूली बंद कर दी गई। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इससे एक मजबूत औद्योगिक क्षेत्र के विकास में मदद मिली है और यह जीएसटी के ‘एक राष्ट्र-एक बाजार’ की भावना के अनुरूप भी है।
जम्मू-कश्मीर के बिजली उत्पादन क्षेत्र में 5 सालों से लंबित सुधार को भी लागू कर दिया गया है। इसके तहत, प्रदेश में बिजली वितरण विभाग को पांच स्वायत्त निगमों को हस्तांतरित कर दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि विद्युत वितरण विभाग के स्थानांतरण से सेवाओं में सुधार और रेवेन्यू मकैनिजम की स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा। नागरिक कार्यों के तेज क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सिविल वर्क्स को पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट को सौंप दिया गया है।
इसके बाद नगरपालिका समितियों और परिषदों को अब 5 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं के लिए प्रशासनिक स्वीकृति देने का अधिकार है। राज्य ऐंटी-करप्शन ब्यूरो केंद्रीय सूचना आयोग और केंद्रीय सतर्कता आयोग के सुपरविजन में काम करेगा। साथ ही केंद्रीय प्रशासनिक ट्राइब्यूनल का अधिकार क्षेत्र भी प्रदेश भर में होगा। अधिाकारियों का कहना है कि इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकेगी।
बता दें कि बीते साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने संसद के दोनों सदनों में बिल पारित करा जम्मू-कश्मीर को संविधान प्रदत्त विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया था। इसके अलावा राज्य का द्विविभाजन भी कर दिया गया था। दोनों हिस्सों को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया था। इसमें जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की व्यवस्था है जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी।
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