जम्मू। जम्मू एयरफोर्स स्टेशन में 27 जून की मध्यरात्रि ड्रोन द्वारा फेंके गए दो बम में आरडीएक्स और नाइटरेट का इस्तेमाल किया गया था। प्रारंभिक जांच फारेंसिक एक्सपर्ट ने यह खुलासा किया है। एफएसएल सूत्रों का कहना है कि आरडीएक्स भारत में उपलब्ध नहीं है। इसका इस्तेमाल पाकिस्तान विस्फोटक बनाने में करता है।
यह खुलासा एयरफोर्स स्टेशन में ड्रोन हमले में पाकिस्तान का हाथ होने में काफी अहम है। ड्रोन को संचालित करने वालों का निशाना एयरफोर्स स्टेशन में हैंगर में खड़े एमआइ-7 हेलीकॉप्टर और छोटे एयरक्राफ्ट थे, जिस प्रकार से एयरफोर्स स्टेशन बिल्डिंग में बम धमाके से विस्फोट हुआ उसकी तीव्रता से छत पर बड़ा छेद हो गया। इन विस्फटकों में छर्रों और बॉल बियरिंग्स का इस्तेमाल अधिक से अधिक जानमाल का नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया।
सूत्रों के अनुसार एयरफोर्स स्टेशन में जीपीएस युक्त ड्रोन संभवत चीन निर्मित था, जिसे देखते हुए एंटी ड्रोन प्रणाली को सशक्त बनाने में भारत को इजराइल की तकनीक पर काम करने की आवश्यकता है। जम्मू कश्मीर में जारी आतंकवाद के दौर में आतंकियों द्वारा ड्रोन से अति संवेदनशील एयरफोर्स स्टेशन पर दो बम गिराए जाने की यह पहली घटना है। इसमें भारतीय वायु सेना के दो जवान घायल हुए। मामले की जांच देश की प्रतिष्ठित राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआइए कर रही है।
वहीं जम्मू के एसएसपी चंदन कोहली का कहना है कि एनआइए के अलावा मामले की जांच जम्मू कश्मीर पुलिस भी कर रही है। कोहली ने आशंका व्यक्त कि जम्मू एयरफोर्स स्टेशन में 27 जून की मध्यरात्रि ड्रोन से जो हमला हुआ वे पाकिस्तान से हुआ। ड्रोन के संचालक सीमापार पाकिस्तान से ड्रोन को उड़ाया गया। जम्मू एयरफोर्स स्टेशन से सबसे नजदीक अंतरर्राष्ट्रीय सीमा 14 किलोमीटर है। एयरफोर्स स्टेशन से बेलीचराना बार्डर सबसे नजदीक है। ड्रोन जम्मू एयरपोर्ट रनवे से सीधा आया। कहीं भी दाएं बाएं नही गया और सीधा हमलो टेक्निकल एयरपोर्ट पर किया।
इसी बीच जम्मू एयरफोर्स स्टेशन की सुरक्षा को देखते हुए एंटी ड्रोन प्रणाली को स्थापित कर दिया गया है। (एजेंसी, हि.स.)
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