नई दिल्ली: विधि आयोग ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर लोगों को सुझाव देने के लिए कहा है, जिसके बाद विवाद बढ़ता जा रहा है. अटकलें लगाई जाने लग गई हैं कि केंद्र सरकार 2024 लोकसभा चुनाव से पहले इसे जमीन पर उतार सकती है. इस बीच जमीयत के प्रमुख ने अरशद मदनी ने रविवार को कड़ा ऐतराज जताया है. उन्होंने अपील की है कि लोग यूसीसी का विरोध करें, लेकिन इसके लिए सड़कों पर न उतरें.
मदनी का कहना है कि पिछले 1300 सालों से उनके पास अपने व्यक्तिगत कानून हैं. वे उन्हीं पर टिके रहेंगे, लेकिन वह UCC का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरना पसंद नहीं करेंगे. आजादी के बाद किसी भी सरकार ने ऐसा नहीं किया और वे मानते हैं कि इसकी कोई जरूरत नहीं है. जितना इसका अधिक विरोध किया जाएगा उतना हिंदू-मुसलमान दूर हो जाएंगे. साथ ही साथ गलत इरादे वाले लोगों का मिशन पूरा हो जाएगा.
‘यूसीसी लागू करना बीजेपी के लिए चुनाव जीतने का जरिया’
इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खान का कहना है कि यूसीसी लागू करना बीजेपी के लिए चुनाव जीतने का एक जरिया भर है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने कहा कि वह समान नागरिक संहिता को अनावश्यक, अव्यावहारिक और देश के लिए अत्यंत हानिकारक मानता है. इस संबंध में एआईएमपीएलबी ने एक बयान जारी किया है.
एआईएमपीएलबी ने कहा है कि बोर्ड दोबारा से अपने रुख को क्लियर कर रहा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ कुरान और सुन्नत से लिया गया है और इसलिए यहां तक कि मुस्लिम भी कोई बदलाव करने के लिए अधिकृत नहीं हैं. इसलिए, सरकार या कोई अन्य बाहरी स्रोत इसमें कोई बदलाव लाने की कोशिश कर रहा है. ये कानून केवल समाज में अराजकता और अव्यवस्था को जन्म देंगे, जिसे किसी भी समझदार सरकार द्वारा क्रियान्वित नहीं किया जा सकता है.
UCC पर कांग्रेस ने भी उठाए सवाल
दरअसल, विधि आयोग की ओर से मांगे जा रहे सुझावों की विपक्षी पार्टियों ने आलोचना की है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का कहना है कि पहले के विधि आयोग ने इस मुद्दे पर 2018 में एक परामर्श रिपोर्ट प्रकाशित की थी और आश्चर्यजनक रूप से वर्तमान विधि आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया कि नए परामर्श की आवश्यकता क्यों है.
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