नई दिल्ली । दिल्ली में (In Delhi) जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) के अध्यक्ष (President) मौलाना महमूद मदनी (Maulana Mahmood Madani) ने यूपी में (In UP) मदरसों के सर्वे के विरोध में (Against the Survey of Madrasas) एक महत्वपूर्ण बैठक (An Important Meeting) कर सरकार से मिलने का निर्णय लिया (Decided to Meet the Government) और इसको लेकर एक स्टेरिंग कमेटी भी बनाई गई । बैठक में यूपी के बड़े मदरसों से जुड़े लोग शामिल हुए, ये सभी लोग गैर सरकारी इमदाद से मदरसे चलाने वाले हैं। सरकारी ऐलान के बाद महमूद मदनी के साथ बैठक करने के बाद आगे की रणनीति तैयार की गई है।
उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर जिलाधिकारियों को सर्वे कराने के निर्देश दिए जाने के खिलाफ हुई बैठक के बाद महमूद मदनी नें कहा, हम कहना चाहते हैं कि मदरसे देश की संपत्ति हैं और गरीबों के लिए मदरसे जरूरी हैं। मदरसे से निकले लोगों ने देश की सेवा की है, इसलिए मदरसों का रोल बहुत अहम है। आज के जमाने मे मदरसों को गलत निगाह से देखा जा रहा है मदरसों का काम आपसी दूरी को खत्म करना है। हम देश के लिए हैं, थे और रहेंगे। मदरसों के मामले में जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए।
दरअसल यूपी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे होगा और उसके बाद रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी जाएगी। सर्वे टीम में एसडीएम, बीएसए और जिला अल्पसंख्यक अधिकारी शामिल रहेंगे। टीम अपने सर्वे के बाद रिपोर्ट प्रशासन को सौंपेंगे और एसडीएम या अपर जिलाधिकारी से मिली रिपोर्ट का निरीक्षण करने के बाद ही जिलाधिकारी रिपोर्ट को आगे शासन के पास भेजेंगे।
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