इंदौर। दिगंबर जैन आचार्य विमदसागर मसा (Digambar Jain Acharya Masa) की आत्महत्या (suicide) मामले में बड़े भाई और एक रिश्तेदार के बयानों के बाद अब पुलिस (Police) नए सिरे से अलग-अलग बिंदुओं पर जांच कर रही है, ताकि इस षड्यंत्र का पर्दाफाश हो सके। एक रिश्तेदार ने तो सीधे सेवादार पर सवाल उठाए हैं।
27 साल पूर्व संतश्री ने अपना घर छोड़ा था और बाद में दीक्षा ली थी। इसके बाद वह वर्ष 2010 में पहली बार चातुर्मास विहार (Chaturmas Vihar) के दौरान अपने घर भी गए थे। मामले की जांच कर रहे परदेशीपुरा थाना प्रभारी पंकज द्विवेदी (Pardeshipura police station in-charge Pankaj Dwivedi) ने बताया कि जैन संत को मुखाग्नि उनके बड़े भाई संतोष जैन (Santosh Jain) ने दी थी, जो सागर में बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) में ब्रांच मैनेजर (Branch Manager) हैं। कल पुलिस ने उनके बयान लिए। उनका कहना है कि पांच भाई-बहनों में विमदसागर (Vimadsagar) सबसे छोटे थे। मेरा विश्वास है कि जो संत लोगों में जीने की आस जगाता हो वह इस तरह आत्महत्या कैसे कर सकता है। हमें भरोसा है कि पुलिस निष्पक्ष जांच करेगी। चूंकि हम तो यहां से चले जाएंगे, जो करना है वह पुलिस को करना है। जब पुलिस आचार्यश्री के बड़े भाई का बयान ले रही थी तो पास में उनके पिता शीलचंद जैन (Sheelchand Jain) मौन साधे बैठे रहे। पुलिस ने आचार्य के ममेरे भाई शोकानंद जैन (Shokanand Jain), जो सागर में सोने-चांदी के व्यापारी हैं, के भी बयान लिए। उन्होंने सेवादार अनिल जैन (Anil Jain) पर सवाल उठाए कि वह 12 साल से उनके साथ थे, ऐसे कैसे घटना हो गई। उन्होंने अनिल जैन (Anil Jain) से कड़ी पूछताछ करने का आग्रह भी पुलिस से किया।
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