नई दिल्ली. भारत (India) के उपराष्ट्रपति (Vice President) जगदीप धनखड़ ((Jagdeep Dhankhar) ) ने देश को उन ‘राष्ट्र-विरोधी ताकतों’ (‘Anti-national forces’) के प्रयासों के प्रति आगाह किया, जो यह फैलाने की कोशिश कर रही हैं कि भारत में भी पड़ोसी देश बांग्लादेश (Bangladesh) की हाल की घटनाओं की हालात सामने आएंगे. किसी का नाम लिए बिना, जगदीप धनखड़ ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि कैसे कुछ लोग भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच समानताएं खोजने में जल्दबाजी करते हैं. उन्होंने इसे गुमराह करने की कोशिश करार दिया.
धनखड़ ने शनिवार को जोधपुर में राजस्थान हाई कोर्ट के प्लेटिनम जुबली समारोह में कहा, “सतर्क रहें! कुछ लोगों द्वारा यह कहानी फैलाने की कोशिश की जा रही है कि जो हमारे पड़ोस में हुआ, वह भारत में भी होगा, यह अत्यंत चिंताजनक है.”
उपराष्ट्रपति ने कहा, “इस देश का एक नागरिक जो संसद सदस्य रह चुका है और दूसरा जो विदेश सेवा में काफी समय बिता चुका है, यह कहने में देर नहीं लगाता कि जो पड़ोस में हुआ, वह भारत में भी होगा!”
धनखड़ की टिप्पणी को कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद और मणिशंकर अय्यर की प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है, जिन्होंने भारत और बांग्लादेश की राजनीतिक स्थितियों के बीच तुलना भारत से की थी. सलमान खुर्शीद ने कहा था कि भारत में सामान्य स्थिति के बावजूद, बांग्लादेश जैसी घटनाएं यहां भी हो सकती हैं. पूर्व राजनयिक और केंद्रीय मंत्री अय्यर ने भी इसी तरह बांग्लादेश से भारत की तुलना की थी. उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय हित के महत्व पर भी जोर देते हुए कहा कि इसे मापा नहीं जा सकता. यह सर्वोच्च प्राथमिकता है, एकमात्र प्राथमिकता है और हम किसी भी चीज से पहले राष्ट्र को प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
धनखड़ की टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है, जब बांग्लादेश राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है. छात्र-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों का सामना करने वाली ‘लौह महिला’ शेख हसीना प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद देश छोड़कर भाग गईं और भारत में शरण ली.
बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाल ली है. उन्होंने प्रदर्शनकारियों और हसीना के समर्थकों के बीच झड़पों के बाद “कानून और व्यवस्था” की बहाली को प्राथमिकता दी है. धनखड़ ने जून 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल पर भी टिप्पणी की. उन्होंने इसे आजादी के बाद का “सबसे क्रूर काला दौर” बताया.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved