नई दिल्ली । देश में पहले से स्थापित (Already Established in the Country) सेंसर बोर्ड से इतर (Other than Censor Board) एक नए धर्म सेंसर बोर्ड (A New Religion Censor Board) की जगतगुरु शंकराचार्य (Jagatguru Shankaracharya) ने स्थापना की (Established) । यह देश में ओटीटी प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया और टीवी शोज में हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली अपमान से जुड़ी सामग्री की समीक्षा करने के साथ ही फिल्मों, बेवसीरीज में दिखायी जाने वाली धार्मिक सामग्री को मंजूरी देगी।
जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा, कुछ चुनिंदा लोग 800 करोड़ दर्शकों का मनोरंजन करने वाले माध्यम का उपयोग करते हैं, इस तरह के कृत्यों के प्रभाव को अनदेखा करते हुए संस्कृति, परम्परा और धर्म और बड़े पैमाने पर समाज जैसे संवेदनशील मुद्दों को छूकर अशांति पैदा करते हैं। इसलिए, लोग आज चाहते हैं कि एक ऐसा निकाय हो जो इस तरह के आपत्तिजनक धारावाहिकों, फिल्मों या ओटीटी शो पर नजर रखे, चाहे वह दृश्य, संवाद या स्क्रिप्ट के रूप में हो। जन अनुरोध के आधार पर बनाई गई यह संस्था यह सुनिश्चित करेगी कि इस तरह के असंवेदनशील चीजों को शुरू से ही खत्म कर दिया जाए। ताकि यह उन करोड़ों लोगों तक नहीं पहुंचे, जिनकी भावनाएँ प्रभावित हों।
यूपी फिल्म डेवलपमेंट काउंसिल के उपाध्यक्ष तरुण राठी ने कहा कि यूपी फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की एडवाइजरी है कि धर्म सेंसर बोर्ड रिलीज से पहले किसी भी मनोरंजन-आधारित सामग्री को मंजूरी देने का अधिकार रखेगा। तरुण राठी ने अपनी बात रखते हुए कहा, बोर्ड का उद्देश्य न केवल हिंदू धार्मिक चित्रण की रक्षा करना है, बल्कि फिल्म निर्माताओं को यह सुनिश्चित करने में भी मदद करेगा कि सर्वोच्च धार्मिक प्राधिकरण द्वारा अनुमोदन प्राप्त हो, जिसके परिणामस्वरूप फिल्मों, धारावाहिकों, नाटकों और ओटीटी शो आदि को शांतिपूर्ण तरीके से रिलीज किया जा सके। हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाए बिना मनोरंजन का उद्देश्य है।
गौरतलब है कि तरुण राठी 2005 में सेंसर बोर्ड में रह चुके हैं और वर्तमान में यूपी फिल्म डेवलपमेंट काउंसिल के उपाध्यक्ष हैं। तरुण राठी के अलावा, श्रद्धेय शंकराचार्य, मुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज 1008, मीडिया विशेषज्ञ सुरेश मनचंदा, वरिष्ठ वकील सुप्रीम कोर्ट पीएन मिश्रा, सनातन धर्म प्रवक्ता स्वामी चक्रपाणि, साहित्य और संस्कृति विशेषज्ञ डॉ नीरजा माधव सहित अन्य शामिल हैं। ज्ञातव्य है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से जारी किये गए प्रेस रिलीज में बताया गया है कि केवल गलत दृश्यों, संवादों, कथानकों के ऊपर कार्यवाही ही नहीं, बल्कि निर्माताओं द्वारा मांगे जाने पर उनका अकादमिक बौद्धिक सहयोग करेगा।
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