चंडीगढ़। हिंदू तख्त (Hindu throne) एवं हिंदू सुरक्षा समिति के प्रमुख (Head of Hindu Security Committee) एवं श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के जगद्गुरु पंचानंद गिरि जी महाराज (Panchanand Giri Ji Maharaj) का गुरुवार सुबह मोहाली के मैक्स अस्पताल (Max Hospital) में निधन हो गया। वे तीन दिनों से वहां दाखिल थे। उनके निधन से पूरे हिंदू समाज (Hindu society) में दुख का माहौल है। जगदगुरु पंचानंद गिरि जी महाराज की पार्थिव देह को मैक्स अस्पताल मोहाली से श्रद्धालुओं के अंतिम दर्शनों के लिए चंडीगढ़ बुड़ैल सैक्टर 45 स्थित ज्वाला जी मंदिर ले जाया गया। जिसके बाद ढकोली जीरकपुर डेरे पर पार्थिव देह को ले जाया गया, जहां पर बड़ी गिनती में भक्तों ने उनके अंतिम दर्शन किए।
पटियाला के विभिन्न बाजारों में भी महाराज जी की पार्थिव देह के पटियाला निवासियों ने अंतिम दर्शन किए तथा उन पर फूलों की वर्षा करके अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। जगद्गुरु पंचानंद गिरि जी महाराज की पार्थिव देह को फिलहाल पटियाला के श्री काली माता मंदिर के श्री शिव शक्ति सेवा दल लंगर चैरिटेबल ट्रस्ट के लंगर भवन में भक्तों के अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया है, जहां लोग लंबी- लंबी लाइनों में पंचानंद गिरि जी के अंतिम दर्शन कर रहे हैं। वहीं विभिन्न अखाड़ों से संत, महंत, महामंडलेश्वर बड़ी संख्या में अंतिम दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं।
जगदगुरु पंचानंद गिरि जी महाराज का जन्म 29 जुलाई 1971 को पटियाला में हुआ था। 9 वर्ष की आयु से ही उन्होंने हिंदू सुरक्षा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष शेरे-ए-हिंद पवन कुमार शर्मा की अध्यक्षता में अपना जीवन हिंदूत्व को समर्पित कर दिया था। धीरे-धीरे हिंदू सुरक्षा समिति के अध्यक्ष बने। इसके बाद हिंदुत्व के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए उन्हें विश्व के सबसे बड़े पंचदशनाम जूना अखाड़े का महामंडलेश्वर नियुक्त कर दिया गया तथा बाद में उन्हें जगद्गुरू की उपाधि से सुशोभित किया गया। यहीं नहीं माता कामाख्या देवी आसाम एवं श्री मां ज्वाला जी हिमाचल प्रदेश के भी पंचानंद गिरि जी महाराज पीठाधीश्वर नियुक्त किए गए तथा आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा 2500 साल पहले स्थापित श्री हिंदू तख्त का उन्हे पीठाधीश्वर नियुक्त किया गया।
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