नई दिल्ली। चीन में अलीबाबा समूह के फाउंडर जैक मा बुधवार को अचानक प्रकट हुए और उन्होंने एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा कुछ टीचर्स से बात की। गौरतलब है कि अक्टूबर के बाद से ही जैक मा सार्वजनिक रूप से कहीं नजर नहीं आए थे। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुख्य रिपोर्टर किंगकिंग चेन ने एक ट्वीट करके कहा, ‘जैक मा गायब नहीं हुए हैं, ये देखिए: मा ने बुधवार सुबह 100 गांव के टीचर्स के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस की, जिसमें कहा गया कि कोरोना के बाद, हम एक-दूसरे से फिर से मिलेंगे।’
ग्लोबल टाइम्स के रिपोर्टर ने कहा कि जैक मा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देश के 100 ग्रामीण टीचर्स से बातचीत की। कभी अंग्रेजी के टीचर रहे जैक मा ने बुधवार को एक वीडियो के माध्यम से गांव के टीचर्स को भी शुभकामनाएं दी। चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने इसे लेकर एक वीडियो भी साझा किया है। इसमें जैक मा को सभा को संबोधित करते हुए देखा जा सकता है। असल में जैक मा हर साल सान्या गांव के टीचर्स के साथ बातचीत करते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण, यह बैठक इस साल वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई।
Jack Ma Yun, the English teacher turned entrepreneur and former executive chairman of #Alibaba, showed up at a rural teacher-themed social welfare event via video link on Wed, his first public appearance since Alibaba came under tougher regulatory scrutiny.https://t.co/VXywPHEeyv pic.twitter.com/DKCXhASIhu
— Global Times (@globaltimesnews) January 20, 2021
गिरफ्तारी तक की थी आशंका : पहले यहां तक आशंका जाहिर की गई थी कि चीन सरकार की आलोचना करने वाले अलीबाबा ग्रुप के फाउंडर जैक मा की गिरफ्तारी या नजरबंदी हो गई है। वह करीब दो महीने से सार्वजनिक रूप से कहीं नजर नहीं आए हैं। चीनी मीडिया में ऐसी खबरें आयी हैं कि जैक मा सरकारी एजेंसियों की ‘निगरानी’ में हैं।
निगरानी में कारोबारी : जैक मा अरबपति कारोबारी हैं और दुनिया के 100 शीर्ष धनी लोगों में से हैं। वे चीन की अलीबाबा ग्रुप के फाउंडर हैं। हांगकांग के एशिया टाइम्स की पहले खबर आयी थी कि जैकमा ‘निगरानी का सामना कर रहे हैं।’
सरकार से भिड़ने का नुकसान : गौरतलब है कि ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा और Ant ग्रुप के फाउंडर चीनी अरबपति कारोबारी जैक मा पिछले दो महीने से सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आए थे। उन्होंने हाल के दिनों में चीन सरकार की नीतियों की आलोचना की थी, जिसके बाद उनकी कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की गयी थी।
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