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    जैक मा ने अपनी वापसी का ढूंढा रास्‍ता, चीनी सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर कर रहे हैं काम

  • April 29, 2021

    बीजिंग। मशहूर ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा(AliBaba) के संस्थापक जैक मा (Jack ma) ने अपनी वापसी का रास्ता हासिल कर लिया है। कुछ महीने पहले दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक जैक मा (Jack ma) चीनी अधिकारियों के निशाने पर आ गए थे। तब अधिकारियों ने उनकी कंपनी के इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग Initial Public Offering (IPO) यानी बाजार में अपने शेयर बेचने की योजना पर रोक लगा दी थी। यह चीन(China) के इतिहास का सबसे बड़ा IPO था। तब से जैक मा(Jack Ma) आम तौर पर परदे के पीछे रहे हैं। इस बीच उनकी कंपनी पर चीन(China) के एकाधिकार कानून का उल्लंघन करने के आरोप में भारी जुर्माना लगाया गया। कुछ समय तक जैक मा गायब रहे। इससे उनको लेकर मीडिया में तरह-तरह के कयास लगाए गए।



    लेकिन अब उनके बारे में ये खबर आई है कि वे चीन की डिजिटल करेंसी योजना को कार्यरूप देने में जुटे हुए हैं। गौरतलब है कि चीन दुनिया का पहला देश है, जहां सरकारी योजना के तहत डिजिटल करेंसी का प्रयोग किया जा रहा है। खबर है कि जैक मा इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए चीन सरकार के साथ मिल कर काम कर रहे हैं। इसमें उन्होंने अपनी अलीबाबा होल्डिंग्स को शामिल किया है। अलीबाबा के अलावा इस योजना को कार्यरूप देने के लिए टेनसेंट, जेडी.कॉम और दूसरी बड़ी टेक कंपनियों को भी शामिल किया गया है।
    बताया जाता है कि जैक मा पिछले 24 अक्टूबर को दिए अपने एक भाषण के कारण चीन सरकार के निशाने पर आ गए। शंघाई में एक वित्तीय सम्मेलन में दिए इस भाषण में उन्होंने आरोप लगाया था कि चीन के अधिकारी आविष्कार में बाधा बन रहे हैं। उसके तुरंत बाद उनकी कंपनी के 37 अरब डॉलर के आईपीओ पर सरकार ने रोक लगा दी।
    हांगकांग की वेबसाइट एशिया टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब जैक मा पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना से जुड़ कर डिजिटल करेंसी को सफल बनाने के लिए काम कर रहे हैँ। जानकारों ने ध्यान दिलाया है कि अपनी नाराजगी के बावजूद चीन सरकार ने उनका सहयोग लिया है। इसे इस बात का संकेत समझा जा रहा है कि चीन सरकार अरबपति उद्यमियों को कुचलने की नीति पर नहीं चल रही है। बल्कि उसका मकसद उन्हें नियमों के मुताबिक चलने के लिए मजबूर करना है। साथ ही वह ये संदेश देना चाहती है कि चीन में असल सत्ता कम्युनिस्ट पार्टी की ही है।
    चीन की डिजिटल करेंसी को इलेक्ट्रॉनिक चाइनीज युवान या ई-सीएनवाई कहा जा रहा है। उसका सबसे पहला प्रदर्शन इस साल आठ मार्च को शंघाई के एक शॉपिंग मॉल में हुआ था। चीन के ये प्रयोग शुरू करने के बाद अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और जापान में भी अपनी डिजिटल करेंसी तैयार करने की चर्चा शुरू हो चुकी है। डिजिटल करेंसी की दिशा में कदम उठाने के पीछे चीन की मंशा पर पिछले कुछ समय से विश्व मीडिया में कयास लगाए जाते रहे हैं। कुछ विश्लेषकों ने कहा है कि डिजिटल करेंसी की शुरुआत कर चीन विश्व अर्थव्यवस्था पर डॉलर के मौजूदा वर्चस्व को खत्म करना चाहता है।
    लेकिन कई विश्लेषकों ने कहा है कि आर्थिक आधार पर डिजिटल युवान शुरू करना चीन के लिए एक सार्थक कदम है। इससे नोट और सिक्के छापने की जरूरत खत्म हो जाएगी। साथ ही काले धन का ट्रांसफर कठिन हो जाएगा। कंपनियों और उपभोक्ताओं को जो फीस चुकानी पड़ती है, उसमें भी कमी आएगी। साथ ही पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को संचालित करने के लिए एक नया औजार मिल जाएगा।
    बताया जाता है कि इसे अमली जामा पहनाने में अपनी भूमिका निभा कर जैक मा ने एक बार फिर चीन सरकार में अपनी पैठ बना ली है। उनकी कंपनी की तरफ से संचालित माई-बैंक को अब उन प्रमुख संस्थानों में शामिल किया गया है, जो डिजिटल युवान के जरिए सेवाएं देंगे। साथ ही पीपुल्स बैंक जैक मा की कंपनी के मोबाइल एप डेवलपमंट प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर इस योजना को लागू करने के तौर-तरीके सीख रहा है।

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