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    जबलपुर : तिरुपति बालाजी प्रसादम मामले में बोले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, ‘देशभर के मंदिरों की होनी चाहिए जांच’

  • September 21, 2024

    जबलपुर । ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद (Avimukteshwarananda) ने शुक्रवार को जबलपुर (Jabalpur) में बड़ा बयान देते हुए कहा कि बहुमत जो कहेगा, अल्पमत को स्वीकार करना होगा, साथ ही उन्होंने कहा कि इस देश में गाय (Cow) की हत्या नहीं हो सकती। वहीं तिरुपति बालाजी प्रसादम (Tirupati Balaji Prasadam) में पशु चर्बी व तेल होने के मामले को लेकर उन्होंने देशभर में मंदिरों के प्रसाद की जांच कराने की बात भी कही।

    मीडिया से बात करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, ‘हमारे अपने विश्वास है, हमारी अपनी आस्था है, हमारी अपनी परंपरा है, हम उसका निर्वहन करेंगे। अगर कोई हमारे साथ एडजस्ट कर सकता है, हम उसको भी एडजस्ट कर लेंगे। लेकिन हमारी भावना के विरुद्ध हमारे देश में रहकर कोई काम नहीं कर सकता।


    आगे उन्होंने कहा, बहुमत जो कहेगा, इस देश के अल्पमत को उसको स्वीकार करना होगा। ये गजब की बात हो गई, कि जब सरकार बनाना होगा तो बहुमत देखा जाएगा और जब कानून लागू करने होंगे तो अल्पमत को देखा जाएगा, कि अल्पसंख्यक क्या चाहते हैं। अरे अल्पसंख्यक कुछ चाहें, बहुसंख्यक जो चाहेगा वह इस देश में होगा और इस देश में बहुसंख्यक हिंदू हैं। गाय के वध के खिलाफ हैं बहुसंख्यक इस देश में, इसलिए गाय की पूजा होगी इस देश में, गाय की हत्या इस देश में नहीं हो सकती।’

    साथ ही तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद स्वरूप मिलने वाले लड्डू में जानवरों की चर्बी व मछली का तेल होने की खबरों को लेकर उन्होंने बेहद नाराजगी जताई। इस मामले में सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने इसे सरकार की लापरवाही का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि तिरुपति के प्रसाद में अपवित्र घटक मिलाना समस्त हिन्दू समुदाय के प्रति अपराध है, इस मामले में उन्होंने दोषियों को तत्काल गिरफ्तार कर कोर्ट में केस चलाने की मांग की। साथ ही उन्होंने एक बड़ी कमेटी बनाते हुए जांच कर दोषियों को कड़ा दंड देने की मांग भी की।

    शंकराचार्य ने इस मामले का खुलासा करने को लेकर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का भी अभिनंदन किया और कहा कि अगर आरोपों में सच्चाई नहीं होती तो अब तक नायडू का घेराव हो चुका होता। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के सभी मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त होने चाहिए, क्योंकि अगर धर्मनिरपेक्ष सरकारें धर्म स्थानों में रहेंगी तो यही परिणाम होगा। तिरुपति की घटना हिंदुओं को जागरूक करती है कि धर्म स्थानों से सरकारों का हस्तक्षेप खत्म हो।

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