जबलपुर । जबलपुर (Jabalpur) के रांझी में हर साल नवरात्रि पर मन्नत महाकाली (Mahakali) की स्थापना की जाती है. इसकी मान्यता इतनी है कि प्रतिमा स्थापना के लिए 2056 तक की एडवांस बुकिंग हो चुकी है.
शारदेय नवरात्रि के मौके पर जबलपुर संस्कारधानी में जगह जगह मां की प्रतिमाएं पंडालों में विराजी हैं. ऐसी ही विशेष मान्यताओं वाली मनोकामना महाकाली की हर वर्ष शारदेय नवरात्रि के मौके पर विधि विधान से स्थापना की जाती है. लगातार 25 वर्षों से मनोकामना वाली महाकाली की प्रतिमा स्थापना का क्रम जारी है.
मां के प्रति भक्तों की आस्था इस कदर समझी जा सकती है कि 2056 तक प्रतिमा स्थापना का खर्चा तक भक्त एडवांस लेकर बैठे हैं लेकिन उन्हें अपना मौका नहीं मिल पा रहा है. ये वही भक्त हैं जिनकी मनोकामना को मां काली ने पूरा किया है.
माता महाकाली को मनोकामना वाली महाकाली का नाम किसी ने नहीं दिया. स्वयं भक्तों ने उनका ही नाम प्रचलित किया है. इस नाम के पीछे कई चमत्कारिक घटनाए जुड़ी हुई हैं. कहते हैं मां के दर्शन करने जो भी भक्त आया और मनोकामना मांगी मां ने उस भक्त की हर मनोकामना को पूरा किया और सिलसिला आगे चलता गया
हर साल जबलपुर के रांझी क्षेत्र में मां की विशालकाय प्रतिमा स्थापित की जाती है और 9 दिन तक पूजा अनुष्ठान का दौर चलता है. प्रतिमा स्थापना के लिए 2038 तक इसकी बुकिंग हो चुकी है. भक्तों ने इसकी राशि जमा कर दी है. 2056 तक प्रतिमा स्थापना के लिए वेटिंग चल रही है.
मां को प्रतिवर्ष स्वर्ण आभूषण और चांदी के आभूषण भी चढ़ाए जाते हैं. जिन्हें नवमी के भंडारे के बाद गरीब बच्चियों को दे दिया जाता है. जो दान दक्षिणा चढ़ता है उससे गरीब लड़कियों की शादी करायी जाती है. समिति के महंत बताते हैं कि इस का सिलसिला 1997 में शुरू हुआ था जब बच्चों ने मिलकर मां महाकाली की प्रतिमा बनाई थी.
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