नई दिल्ली । जगुआर (Jaguar) की आबादी तेजी से घट रही है। बीते 21 सालों में इनकी संख्या में करीब 25% की गिरावट दर्ज की गई है, जो चिंताजनक है। इनके संकटग्रस्त होने की प्रमुख वजह बढ़ते आवास संकट, अवैध शिकार और मानव वन्यजीव संघर्ष हैं। यह जानकारी अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) की ताजा रिपोर्ट में सामने आई है।
जगुआर पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शीर्ष शिकारियों के रूप में वे अपने निवास स्थान पर खाद्य शृंखला में संतुलन करते हैं तथा अन्य प्रजातियों की आबादी को नियंत्रित करते हैं। जगुआर के संकटग्रस्त होने का प्रमुख कारण उनके आवास विनाश और विखंडन है। जगुआर मुख्य रूप से रात के समय सक्रिय रहते हैं और जीवित रहने के लिए उन्हें बहुत अधिक क्षेत्र की आवश्यकता होती है। नई जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना, वनों की कटाई और कृषि गतिविधियां जगुआर के क्षेत्र पर अतिक्रमण कर रही हैं, जिससे उनकी सीमा धीरे-धीरे कम हो रही है।
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