जिंदे को दो बूंद पानी के लिए तरसाए और मौत आने पर गंगाजल पिलाए…यह कैसी सरकार है, जो मुसीबतें मिनटों में बढ़ाए और मुसीबतों में फंसे लोगों के आहत होने के बाद राहत पहुंचाए…देश में नोटबंदी लागू करने का फैसला चंद मिनटों में ले लिया जाता है…जिस वक्त फरमान सुनाया जाता है उसी वक्त अमल हो जाता है…लॉकडाउन लगाने का ऐलान रातोरात किया जाता है… जो जहां है वहीं फंस जाता है… नोटबंदी हो या तालाबंदी देश के दोनों ही मुसीबत बढ़ाने वाले फैसलों के लिए न वक्त लिया जाता है न वक्त दिया जाता है…लेकिन जब ऑक्सीजन के अभाव में लोग मरने लगे, लाशों के ढेर लगने लगे … पूरे देश में चीखें गूंजने लगे तब सरकार जागती है और ऑक्सीजन ट्रेन दौड़ाती है…तालिबान जब अफगान पर कब्जा कर लेता है.. एयरवेज बंद कर देता है, तब विमान भारतीयों को निकालने पहुंचते हैं…अब जब यूक्रेन पर खतरे के बादल मंडरा रहे थे…वहां फंसे भारतीय छात्र गुहार लगा रहे थे…मदद के नाम पर केवल इतनी सी मांग कर रहे थे कि सरकार विमानों के किराए पर लगाम लगाए…बढ़ते किराए पर रोक लगाए…मुफ्त में नहीं, बल्कि सामान्य किराया लेकर उन्हें वापस आने दिया जाए…तब सरकार सोई पड़ी थी… राज्यों के चुनाव प्रचार में भिड़ी थी…फिर जब यूक्रेन में मारकाट मच गई… जिंदा बचने की उम्मीदें घट गईं…एयरवेज जंग का अड्डा बन गए…उड़ते विमान थम गए…भारतीय बच्चों के परिवारों में चीख-पुकार मच गई, तब सोई सरकार जागती है और दूसरे देशों के आगे हाथ फैलाकर विमान उतारने और फंसे भारतीयों को निकालने की इजाजत मांगती है…फंसे बच्चे घंटों सैकड़ों मील पैदल चलकर आते हैं…भूख-प्यास से बिलबिलाते हैं… यूक्रेनियों के गुस्से का शिकार होकर मार भी खाते हैं… इतनी मशक्कत और जिल्लत के बाद भी किस्मत वाले बच्चे ही वहां पहुंच पाते हैं… हजारों फंसे बच्चों में से सैकड़ों ही वापस लौट पाते हैं…फिर सरकार गंभीरता दिखाती है, फंसे छात्रों को निकालने के लिए युद्ध क्षेत्र में मंत्रियों को भिजवाती है…अब यह मंत्री कौन सा जौहर दिखाएंगे…युद्ध क्षेत्र में तो घुस नहीं पाएंगे … उल्टा उन अधिकारियों की मुसीबतें बढ़ाएंगे जो छात्रों को निकालने में लगे हैं…. वे अधिकारी मंत्रियों की तीमारदारी में लग जाएंगे… हजारों फंसे छात्रों में से सैकड़ों भी नहीं निकल पाएंगे… लेकिन मंत्री से लेकर अफसर तक तमगे लगाएंगे…
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved