यह सामना एक दुबले-पतले आरक्षक का दुर्दांत हत्यारे से नहीं, वर्दी के हौंसलों से सामना था घातक अपराध का। यह सामना था उस अशोक माथे पर रखने वाले साहस से समाज को पंगु समझने वाले दु:साहस का। यह ताल थी कर्तव्य के सामने खड़े हुए दम्भ और अहंकार से चट्टान की तरह अडिग आत्मसम्मान की। और यह उद्घोष था जीतने के उस जुनून का जो केवल हाड़-मांस में नहीं हृदय की असीम शक्ति से ऊर्जा पाता है।
बस यही हौसला, यही जुनून, यही सम्मान था उसके मन मे हिलौरे ले रहा था, इसीलिए खाकी वर्दी भले ही लाल हो गई लेकिन दुर्दांत हत्यारा नहीं छूट सका हमारे जवान पूरन लाल की जकड़ से। शाबाश पूरन।
कल जब मेरे अनुभाग के थाना माखन नगर (बाबई) के आरक्षक पूरनलाल को पता चला कि हमारे थाने में दर्ज हत्या के अपराध का आरोपी जीवन मीणा नर्मदापुरम(होशंगाबाद) में है।बस फिर क्या था, पूरन ने अपने सारे सूत्र लगा दिए उसकी वास्तविक स्थिति जानने के लिए अंतत: सफल हुआ व अकेले दम पर एक खतरनाक हत्यारे को दबोच लिया।
अब हत्यारा कोई सामान्य व्यक्ति तो था नहीं। जिसे महीनों से हमारी पुलिस तलाश कर रही थी और वह चकमा दे रहा था भला एक दुबला-पतला आरक्षक उसके आगे क्या लगता था। लेकिन उसे पता नहीं था कि यह दुबला पतला आरक्षक ढाई मीटर कपड़े से बनी कोई पेंट-शर्ट नहीं पहने जिसका रंग केवल खाकी है। यह वर्दीधारी अपने शरीर पर प्रदेश पुलिस की ढाई लाख वर्दियों का विश्वास धारण किये है। अपने को दो हाथों की गिरफ्त में पाकर हत्यारे ने वार किया उन हाथों पर। पकड़ नहीं ढीली हुई तो सिर को निशाना बना कर अपनी ताकत लगा दी। पूरन का सिर लहूलुहान होकर लाल शोणित वर्दी को तर कर गया। लेकिन कमाल का हौंसला था इस जवान का भी यह तक नहीं देखा कि रक्त का फव्वारा कहां से आ रहा है। पटक कर छाती पर बैठ गया उसकी। जैसे मां चंडी ने महिषासुर को दबोच लिया हो। और अब यह हत्यारा जीवन मीणा सलाखों के पीछे है। प्रदेश पुलिस गौरवान्वित है, जिला गौरवान्वित है, थाना गौरवान्वित है। और मैं व मेरा पूरा अनुभाग गौरवान्वित है।
मैं मेरे हर साथी से कहूंगा आज पूरन आपका आदर्श बन चुका है। मेरी लोकप्रिय कविता की एक पंक्ति आज आप को समर्पित है-
मैं तो केवल जामवंत हूँ, तुम सारे बजरंगी हो।
चौ.मदन मोहन समर
एसडीओपी, पुलिस अनुभाग
सोहागपुर, जिला नर्मदापुरम
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