- रेलवे प्लेटफार्म पर नहीं लगे कोच इंडीकेटर
गंजबासौदा। रेलवे स्टेशन को मॉडल घोषित किए 8 साल से ज्यादा समय हो चुका है। लेकिन यात्रियों को सुविधाओं के लिए मॉडल स्टेशन के नाम पर प्लेटफार्म की लंबाई बढ़ाई गई है। प्लेटफार्म नंबर एक पर पुराने यात्री शेड का विस्तार किया गया है। लेकिन प्लेटफार्म नंबर 2-3 के हालात जस के तस है। शेड के दोनों तरफ दूर तक प्लेटफार्म पर खुली जगह पड़ी हुई है। जबकि चार नंबर पर यात्रियों के लिए शेड भी उपलब्ध नहीं है। इसके कारण धूप और बर्षा के कारण घंटों खड़े रहकर ट्रेन आने का इंतजार करना पड़ता है जो धूप बारिश के कारण टीन शेड में बैठ जाते हैं। ट्रेन आने पर उनको दौड़ कर बोगियों तक पहुंचना पड़ता है। इसके कारण रोज यात्रियों को परिवार सहित प्लेटफार्म पर खड़े रहकर बुनियादी समस्याओं का सामना करना पड़ नहा है।कई बार ऐन वक्त ट्रेन आने का स्थान बदल जाता है। प्लेटफार्म नंबर एक की अक्सर ट्रेनें प्लेटफार्म नंबर 2 पर आती हैं। उस दौरान यात्रियों को सबसे ज्यादा समस्या आती है।
रैंप नहीं है नियमानुसार प्लेटफार्म पर सीढिय़ों के साथ रैंप जरूरी है। लेकिन प्लेटफार्म नंबर से दो और तीन पर जाने के लिए सीढिय़ां हैं। रैंप नहीं है। इसके कारण यात्रियों को परिवार के साथ सामान इधर उधर लेजाने में परेशानी होती है। कोच दर्शाने वाली इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले लगाने काफी समय पहले मंजूरी मिल चुकी है। लेकिन 1 वर्ष बाद भी कोच इंडिकेटर अभी तक नहीं लगाए गए।सामाजिक कार्यकर्ता राजेश नेमा का कहना है प्लेटफार्म नंबर एक और दो पर फुट ब्रिज पर सीढिय़ों के दूसरी तरफ रैंप बनाया जा सकता है। इससे यात्रियों को ट्रॉली बैग लेकर एक प्लेटफार्म से दूसरे तक पहुंचने के लिए आसानी हो जाएगी। इसका भी निर्माण होना चाहिए।
अपडाउनर यूनियन के विष्णु प्रसाद शर्मा कहना है कि प्लेटफार्म पर ट्रेन के कोच दर्शाने वाली इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले लगाए जाने के लिए काफी समय पहले मंजूरी मिल चुकी है। लेकिन आज तक डिस्ले को प्लेटफार्म पर नहीं लगाया गया। इसके कारण आरक्षित कोचों में यात्रा करने वाले यात्रियों को दिक्कतें आती हैं। कोचों को खोजने के लिए यात्रियों को सामान और परिवार सहित दौड़ लगाना पड़ती। है। इसके कारण कई बार यात्री प्लेटफॉर्म के नीचे आ चुके हैं। दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं। कोरोना संक्रमण के बाद अब सफर करने वाले अधिकांश यात्री रिजर्वेशन कराने के बाद ही यात्रा कर रहे हैं। इसके कारण उनको दिक्कतें आ रही है। रेलवे स्टेशन पर भी ट्रेनों की खोज की सही जानकारी प्राप्त नहीं होती है।