देहरादून। भारत-चीन बॉर्डर से सटी आईटीबीपी की अग्रिम चौकियों में ऊर्जा निगम बिजली नहीं पहुंचाएगा। केंद्र सरकार के एमएनआरई मंत्रालय ने फैसला लिया है कि अब इन चौकियों तक वैकल्पिक स्रोतों से बिजली पहुंचाई जाएगी। अभी यूपीसीएल स्तर पर बॉर्डर एरिया की चौकियों तक बिजली पहुंचाने को डीपीआर तैयार कराई जा रही थी।
सर्वे हो चुका था: यूपीसीएल की ओर से इन चौकियों तक बिजली पहुंचाने को सर्वे का काम भी काफी हद तक पूरा कर लिया गया था। पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली में डीपीआर बनाने का भी काम शुरू हो गया था। इस बीच, केंद्र सरकार स्तर पर निर्णय हुआ कि चौकियों तक सोलर प्लांट से बिजली पहुंचाई जाएगी। इसके लिए वैकल्पिक ऊर्जा मंत्रालय काम करेगा। सोलर प्लांट लगाने की योजना पर जल्द काम किया जाएगा।
सौर ऊर्जा पर ज्यादा फोकस: इन बर्फीले इलाकों में बिजली पहुंचाना न सिर्फ महंगा सौदा है, बल्कि सबसे अधिक दिक्कत हर साल बिजली लाइनों को मेंटेन करने में आती है। बर्फीले इलाकों में हर साल पोल, लाइनें ध्वस्त हो जाती हैं। सामान्य बर्फीले क्षेत्रों में जब दिक्कत होती हैं तो सीमावर्ती उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी लाइनों का रखरखाव और मुश्किल भरा है। इसे देखते हुए सौर ऊर्जा पर अब विशेष फोकस किया जा रहा है।
बिजली न होने से हो रही दिक्कत: सीमावर्ती चौकियों पर बिजली नहीं होने से मिट्टी के तेल की खपत अधिक हो रही है। बॉर्डर चौकियों तक इसे पहुंचाना भी मुश्किल भरा काम है। इसी के चलते चौकियों तक बिजली पहुंचाने की प्लानिंग की जा रही थी। उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़, धारचूला क्षेत्र की कई चौकियों तक तो पूर्व में बिजली की लाइनें पहुंचाई भी गईं।
यूपीसीएल के स्तर पर बॉर्डर चौकियों तक बिजली की लाइनों को पहुंचाने के लिए सर्वे का काम किया गया। डीपीआर बनाने की भी तैयारी शुरू हो गई थी। इस बीच केंद्र सरकार के स्तर पर निर्णय लिया गया है कि अब ये काम वैकल्पिक ऊर्जा मंत्रालय करेगा। ग्रिड कनेक्टिविटी की जगह सोलर लाइट पर फोकस किया जा रहा है। – एमएल प्रसाद, निदेशक ऑपरेशन
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