नई दिल्ली (New Delhi) । डॉन, अंडरवर्ल्ड और माफिया (Don, Underworld and Mafia) की बात सुनकर अगर आपके दिमाग में भारत (India) के भगोड़े दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) का चेहरा आ रहा है तो जरा ठहरिये. इस बार हम दाऊद इब्राहिम की बात नहीं कर रहे हैं. बल्कि उस डॉन की बात कर रहे हैं जो उस जिसकी कहानी इटली के सिसली से जुड़ी है.
सिसली इटली (Italy) का वो शहर है जहां से माफिया और डॉन की शुरुआत हुई. इसी शहर से निकले ‘माफिया’, ‘डॉन’ और अंडरवर्ल्ड जैसे शब्दों को दुनिया के कुख्यात बदमाशों ने अपनाया और अपने नाम के साथ जोड़ने लगे.
ऐसे खत्म हुई 30 साल की तलाश
ये कहानी 30 साल से फरार इटली के मोस्ट वांटेड डॉन माटेयो मेस्सिना डेनारो की है. माटेयो मेस्सिना डेनारो सिसली के एक क्रिमिनल गैंग कोसा नोस्ट्रा का लीडर है. इटली की पुलिस इस खूंखार डॉन को 30 साल से तलाश रही थी. लेकिन ये शख्स इतने दिनों से इटली में रहकर भी पुलिस की पकड़ में नहीं आ रहा था. लेकिन आखिरकार 30 साल एक दिन के बाद वो समय आ ही गया जब ये डॉन इटली पुलिस के 100 अफसरों द्वारा रचे गए चक्रव्यूह में फंस गया. इस डॉन को पुलिस ने तब अरेस्ट किया जब ये इलाज कराने के लिए क्लिनिक में मरीजों के बीच कतार में खड़ा था.
माफिया और क्राइम में रुचि रखने वाले वाले इटली के लोग दबी जुबान से चर्चा कर रहे थे कि डेनारो बीमार था और उसकी कीमोथेरेपी हो रही है. इटली के मोस्ट वांटेड इस शख्स का पलेर्मो क्लिनिक में इलाज चल रहा था. 16 जनवरी को जब पुलिस उसके पास पहुंची तो वह लाइन में खड़ा था. एक पुलिस अधिकारी ने उससे पूछा कि वह कौन है? तभी उसके साथ खड़े एक सहयोगी ने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन वह आगे आया और जवाब दिया “मैं माटेयो मेस्सिना डेनारो हूं”. इसके बाद क्या था, एक सूचना पर इटली पुलिस का पूरा अमला वहां आ पहुंचा और इस शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया.
काम के लायक नहीं रह गया था डॉन
डेनारो की गिरफ़्तारी उसके बॉस कहे जाने वाले टोटो ‘द बीस्ट’ की गिरफ़्तारी के ठीक 30 साल और एक दिन बाद हुई. एजेंसियों की रिपोर्ट बताती है कि डेनारो जिस कोसा नोस्ट्रा गैंग का सदस्य है इस गैंग में अब बहुत कुछ बदल गया है. इसी वजह से इस गैंग के ही किसी सदस्य ने उसे गिरफ्तार कराने की ठान ली थी क्योंकि वह अब काम लायक नहीं रह गया था.
डेनारो कोसा नोस्ट्रा का अंतिम बॉस है जो 1990 के दशक में इटली में हुए आतंकी हमलों के राज जानता है. इस लिहाज से उसकी गिरफ्तारी बेहद अहम है. डेनारो पुरानी पीढ़ी के माफिया बॉस की कड़ी में आखिरी शख्स था. वह 1990 के दशक के हिंसक कोसा नोस्ट्रा और 21 वीं सदी के चुपचाप काम करने वाले माफिया के बीच का लिंक है.
डेनारो एक माफिया परिवार में पैदा हुआ था और अपनी हिंसा के लिए जाना जाता था लेकिन अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए उसने अपना धंधा बदला और ऐसे बिजनेस में घुसा जिसे कानूनी मान्यता हासिल थी.
जिस डॉन कॉरलियोन की चर्चा दुनिया भर में होती है उस कॉरलियोन जेनेरेशन का डेनारो अंतिम माफिया था. इस माफिया ग्रुप ने 90 के दशक में इटली की सरकार के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया था.
बदले की वो लड़ाई जब 12 साल के बच्चे को मार कर एसिड में घोल दिया गया
1990 के दौर में शुरू हुए घात-प्रतिघात की इस लड़ाई में कई वीवीआईपी मारे गए थे. इनमें दो जजों का नाम काफी चर्चा में आया था. ये जज थे गिवोनी फालकोन और पाअलो बोरसेलिनो. इन दोनों जजों की हत्या का आरोप डेनारो पर ही है. इस दौरान 12 साल के बच्चे Giuseppe Di Matteo की किडनैपिंग ने लोगों की रुह कंपा दी थी. आरोप है कि माटेयो मेस्सिना डेनारो ने ही इस किडनैपिंग और कत्ल को करवाया था.
इटली की सरकारी एजेंसियों ने कहा कि 1993 में Giuseppe को किडनैप इसलिए किया गया ताकि उसके पिता माफिया के खिलाफ सबूत न दे पाएं. इसके बाद 2 साल तक इस बच्चे को कैद में रखा गया फिर एक खौफनाक मौत देते हुए इस बच्चे का गला घोंटा गया फिर उसे एसिड में घोल दिया गया. डेनारो की गिरफ्तारी के बाद इस बच्चे के परिवार ने कहा है कि इस माफिया को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए. 60 साल के हो चुके डेनारो के खिलाफ इन आरोपों को साबित कर पाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती होगी.
रिपोर्ट के अनुसार गैंगस्टर डेनारो ने 2007 से तब तक कोसा नोस्ट्रा की कमान संभाली जब तक कि उसे गिरफ्तार नहीं कर दिया गया. इस दौरान डेनारो ने कई ऐसी कंपनियां बना ली थी जो कि कानून की नजर में वैध थी. इनकी आड़ में वह क्रिमिनल गैंस कोसा नोस्ट्रा चला रहा था.
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