नई दिल्ली. 27 देशों के यूरोपियन यूनियन (EU) के चुनाव (elections) में इस बार बड़ा उलटफेर देखने को मिला है. इस बार के चुनाव में कई देशों की दक्षिणपंथी पार्टियों (right wing parties) ने जीत हासिल की है. इटली की प्रधानमंत्री (Italian PM) जॉर्जिया मेलोनी (Giorgia Meloni) की धुर दक्षिणपंथी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली ईयू चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. उनकी पार्टी की सीट ईयू संसद में दोगुनी से ज्यादा हो गई है.
मेलोनी ने ईयू संसदीय चुनाव को अपने नेतृत्व के जनमत संग्रह के तौर पर पेश किया है. उन्होंने मतदाताओं से वोट करते समय बैलेट पेपर पर जियोर्जिया लिखने का भी आह्वान किया था. नतीजों पर मेलोनी ने कहा कि उन्हें इन नतीजों पर फक्र है. उन्होंने कहा कि मुझे फक्र है कि इटली यूरोप में सबसे मजबूत सरकार के तौर पर खुद को पेश करने जा रहा है.
इन नतीजों से क्या बदलेगा?
ईयू चुनाव में मेलोनी की पार्टी को मिली बड़ी जीत से ब्रसेल्स (ईयू हेडक्वार्टर) में उनका प्रभाव बढ़ेगा. ईयू की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के अगले कार्यकाल पर फैसले में भी मेलोनी की बड़ी भूमिका होगी. इसके साथ ही ईयू से जुड़े सभी छोटे-बड़े फैसलों में भी मेलोनी का दखल देखने को मिलेगा.
बता दें कि ईयू चुनाव छह से नौ जून के बीच हुआ था. इस चुनाव में लगभग 40 करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया था. चुनाव की शुरुआत छह जून को नीदरलैंड्स में मतदान के साथ हुई थी. इस दौरान फ्रांस, इटली, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, इस्टोनिया, लिथुआनिया और स्वीडन जैसे तमाम यूरोपीयन देशों में जमकर वोटिंग हुई.
ईयू चुनाव में करारी हार के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने संसद भंग कर मध्यावधि चुनाव का आह्वान किया है. वहीं, बेल्जियम की सत्तारूढ़ पार्टी की ईयू चुनाव में हार के बाद प्रधानमंत्री एलेक्जेंडर डीक्रू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
क्या है ईयू संसद?
यूरोपीय संसद दरअसल यूरोपीय लोगों और यूरोपीय संघ की संस्थाओं के बीच संपर्क स्थापित करने की सीधी कड़ी है. यह दुनिया की अकेली सीधी चुनी हुई इंटरनेशनल सभा है. इसमें संसद के सदस्य यूरोपीय संघ के नागरिकों के हितों की बात करते हैं. मेंबर ऑफ यूरोपियन यूनियन (एमईपी) सदस्य देशों की सरकारों के साथ मिलकर नए-नए कानून बनाते हैं. वे ग्लोबल मुद्दों पर फैसला लेते हैं, जैसे क्लाइमेट चेंज और रिफ्यूजी पॉलिसी. वे ईयू का बजट तय करते हैं.
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