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    IT Raid 2019 : रिपोर्ट में कमलनाथ-सिंधिया के करीबी नेता-मंत्रियों के नाम, जानिए सवा दो साल बाद कहां पहुंची जांच

  • September 21, 2021

    भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बहुचर्चित ब्लैकमनी मामले (black money case) में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ यानी EOW की जांच साल भर बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. इस मामले में तीन IPS अफसर और एक SPS अफसर पर प्राथमिक जांच भी दर्ज है. जांच के घेरे में कई मंत्री, विधायक, नेता और कारोबारी हैं।

    लोकसभा चुनाव-2019 से पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के नजदीकियों के घर आयकर का छापा पड़ा था. आरोपों के घेरे में तीन IPS और एक एसपीएस अफसर आए. निर्वाचन आयोग के पत्र के बाद EOW ने दिसंबर 2020 में प्राथमिकी जांच दर्ज की थी. राज्य शासन की तरफ से भी IPS अफसर वी. मधुकुमार, सुशोवन बनर्जी, संजय वी. माने के साथ राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा को आरोप पत्र दिया जा चुका है. सीबीडीटी की रिपोर्ट के मुताबिक इन सभी अधिकारियों पर प्रतीक जोशी के माध्यम से करोड़ों रुपये के लेनदेन का आरोप लगा. EOW आयकर विभाग से दस्तावेज लेने का हवाला देकर इस मामले में खानापूर्ति कर रहा है. ब्यूरो के जिम्मेदार अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है।


    पुलिस अधिकारियों पर ये हैं आरोप…
    1-IPS सुशोभन बनर्जी– जब्त दस्तावेजों में इनके नाम के आगे 25 लाख रुपए लिखा है. प्रतीक जोशी के घर मिली डायरी में भी इनका नाम है. प्रतीक जोशी और ललित चालानी की वाट्सएप चैट में भी सुशोभन बनर्जी का नाम है.

    2-IPS संजय माने– नाम के आगे 30 लाख रुपये लिखा है. प्रतीक जोशी की डायरी में नाम का जिक्र है. प्रतीक और ललित की वाट्सएप चैट में भी नाम है.

    3-IPS वी मधुकुमार– प्रतीक जोशी की डायरी में 12.50 करोड़ रुपये की जानकारी और 25 लाख रुपए का जिक्र है. डायरी में वीएमबी के नाम से उल्लेख है. वीएमबी के नाम से दर्ज मोबाइल नंबर वी. मधुकुमार के नाम से होने की पुष्टि हुई.

    4-SPS अरुण मिश्रा– प्रतीक जोशी की डायरी में 7.5 करोड़ रुपए के लेन देन का जिक्र है. जिस नंबर से प्रतीक जोशी से बात हुई, वह मोबाइल नंबर अरुण मिश्रा का होने की पुष्टि हुई.

    कांग्रेस ने इस मामले की जांच कर रहीईओडब्ल्यू एजेंसी को बीजेपी सरकार का राजनीतिक हथियार बताया है. 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान काले धन के इस्तेमाल के मामले पर इनकम टैक्स ने कई ठिकानों पर छापे मारे थे. इनमें कमलनाथ के नजदीकी भी शामिल थे. मामला केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड सीबीडीटी को भी सौंपा गया था. सीबीडीटी की रिपोर्ट में चुनाव में काले धन के इस्तेमाल की पुष्टि हुई थी.

    कमलनाथ और सिंधिया के करीबी
    सीबीडीटी की रिपोर्ट में कमलनाथ के करीबियों का भी नाम भी था. रिपोर्ट में कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबियों के लेनदेन की बात कही गई है. इसी पूरे मामले पर चुनाव आयोग ने प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए FIR दर्ज करने और आयोग को रिपोर्ट देने के लिए कहा था. 5 जनवरी 2021 को प्रदेश के अफसर चुनाव आयोग को EOW में प्रिलिमनरी इंक्वायरी रजिस्टर की जानकारी दे चुके हैं.

    CDBT रिपोर्ट में 64 विधायकों के नाम
    CDBT की रिपोर्ट में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के मंत्री सहित 64 विधायकों के नाम हैं. इनमें से 13 विधायक रिपोर्ट आने से पहले बीजेपी का दामन थाम चुके थे. बीजेपी के 13 में से 8 विधायक (इसमें से दो प्रद्युम्न सिंह तोमर और राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव मंत्री हैं) सिंधिया समर्थक हैं. रिपोर्ट में सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का नाम नहीं है. लेकिन दिग्विजय सिंह पर लोकसभा चुनाव में 90 लाख रुपए मिलने के आरोप हैं. रिपोर्ट में विधानसभा उपचुनाव जीतकर शिवराज सरकार में फिर से मंत्री बनने वाले बिसाहूलाल सिंह, प्रद्युम्न सिंह तोमर, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, एदल सिंह कंसाना, 3 IPS अफसर सुशोभन बनर्जी, व्ही मधुकुमार, संजय व्ही माने और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण कुमार मिश्रा के नाम हैं।

    ये है पूरा मामला…
    आयकर विभाग दिल्ली की इंवेस्टिगेशन विंग ने 7 अप्रैल 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़, सलाहकार राजेंद्र मिगलानी, मोजेर बियर कंपनी के मालिक और कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी और एक अन्य कारोबारी अश्विन शर्मा के 52 ठिकानों पर एक साथ छापे मारे थे।

    -छापे में 14.6 करोड़ रुपए की नगदी और बड़े पैमाने पर डायरी और कंप्यूटर फाइल जब्त की थीं. दस्तावेजों में 20 करोड़ रुपए की राशि एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के दिल्ली स्थित मुख्यालय भेजने का जिक्र है. बाद में आयकर विभाग की जांच में कांग्रेस पार्टी के दिल्ली स्थित मुख्यालय को 20 करोड़ नहीं, बल्कि 106 करोड़ रुपए भेजे जाने की जानकारी मिली थी।

    -दिल्ली के अकाउंटेंट ललित कुमार चेलानी के लैपटॉप से लेनदेन के हिसाब की जानकारी मिली थी. चेलानी कमलनाथ के करीबी आर के मिगलानी के साथ काम कर चुके हैं. चेलानी के खाते से ही ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी को रकम का भुगतान करने के सबूत आयकर को मिले थे. ललित चेलानी के यहां से भी करीब दो करोड़ और प्रतीक जोशी के यहां से भी साढ़े दस करोड़ रुपए सीज हुए थे. ललित चेलानी के लैपटॉप की एंट्री में बताया गया कि कुल 287.05 करोड़ का कलेक्शन हुआ, जिसमें से 130.47 करोड़ रुपए खर्च हुए. इसमें यह भी लिखा था कि 156.98 करोड़ अभी भी उनके पास हैं।

    -आयकर विभाग ने चुनाव आयोग को साक्ष्य और जांच रिपोर्ट सौंपी. इस रिपोर्ट में लोकसभा चुनाव के दौरान 11 उम्मीदवारों को कथित तौर पर भारी रकम ट्रांसफर किए जाने का जिक्र है.

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