• img-fluid

    कर्ज की किस्त कम करने में ही समझदारी, एक फीसदी और महंगी हो सकती है आपके घर की किस्त

  • August 08, 2022


    नई दिल्ली। कम ब्याज पर कर्ज लेने का समय अब एक इतिहास बन गया है। कोरोना में लोगों को ऐसा अवसर मिला था, जिसमें अब तक के इतिहास में सबसे कम ब्याज दर पर कर्ज मिल रहा था। आरबीआई का रेपो दर चार फीसदी पर था। बैंक 6.4 फीसदी के ब्याज पर कर्ज दे रहे थे। करीब दो साल तक लोगों को इसका फायदा मिला। पर पिछले तीन महीने में 1.40 फीसदी रेपो दर बढ़ने के बाद अब एक बार फिर से महंगे कर्ज का दौर शुरू हो गया है।

    बढ़ती हुई ब्याज दर का ज्यादा असर घरों की खरीदी पर डालती है। क्योंकि ये कर्ज लंबे समय के लिए होते हैं। इनकी रकम भी ज्यादा होती है। ज्यादातर कर्ज फ्लोटिंग दर पर लिए जाते हैं। फ्लोटिंग का मतलब कि आरबीआई जैसे ही दर घटाएगा या बढ़ाएगा वैसे ही कर्ज पर इसका असर शुरू हो जाता है। इससे मतलब नहीं कि आपने बेस रेट, बीपीएलआर, एमसीएलआर या फिर ईबीएलआर पर कर्ज लिया है। यह सभी ब्याज दरों के अलग-अलग तरीके हैं।

    कर्ज लेने वाले हैं तो फ्लोटिंग का विकल्प चुनें
    अभी कर्ज ले रहे हैं तो हाइब्रिड कर्ज का विकल्प चुन सकते हैं। पहले तीन साल के लिए फिक्स दर वाले कर्ज को लें। बाद में इसे फ्लोटिंग दर में बदल लें। इससे यह होगा कि ब्याज दर में उतार-चढ़ाव कर्ज की अवधि या किस्त को प्रभावित नहीं करेगी। याद रखें कि फिक्स्ड दर फ्लोटिंग दर की तुलना में थोड़ी ज्यादा हो सकती है।


    कम ब्याज दर वाले बैंकों में बदलें लोन
    निवेश सलाहकार अर्चना पांडे का कहना है कि पुराने कर्जदार हैं या अभी कर्ज लेने वाले हैं। दोनों स्थितियों में आपको सभी बैंकों के कर्ज की ब्याज दर को जांचना चाहिए। हर बैंक की ब्याज दर अलग होती है। कुछ बैंक प्रोसेसिंग शुल्क भी माफ कर देते हैं। अगर सस्ते दर पर कर्ज पहले ही लिया है तो फिर बहुत ज्यादा फायदा नहीं होगा। क्योंकि यह अभी भी कम ही दर पर होगा। पर अगर ज्यादा ब्याज दर का भुगतान कर रहे हैं तो उसे कम दर वाले बैंकों में बदल सकते हैं।

    एनबीएफसी ज्यादा ब्याज लेती हैं
    वैसे एक दो गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर एनबीएफसी ज्यादा ब्याज लेती हैं। क्योंकि उनका फंड ही ज्यादा लागत पर आता है।

    • अगर आपकी आय ठीक-ठाक है, सिबिल स्कोर अच्छा है तो आप उसे बैंक में बदल सकते हैं। ध्यान रखें कि दोनों की ब्याज दर में कम से कम आधा फीसदी का अंतर तो हो ही।
    • क्रेडिट स्कोर यानी सिबिल बहुत अच्छा है तो मोलभाव भी कर सकते हैं और बैंक से कम दर पर कर्ज ले सकते हैं।

    पुराने कर्जदार हैं तो ईबीआर को चेक करें
    अगर अक्तूबर, 2019 से पहले का कर्ज है तो संभावित रूप से यह एमसीएलआर या बेस रेट या बीपीएलआर में हो सकता है। अक्तूबर, 2019 के बाद के कर्ज एक्सटर्नल बेंचमार्क रेट (EBR) के तहत दिए जाते हैं।

    • कर्ज पुराना है तो इसकी ब्याज दर देखें। अगर ज्यादा ब्याज है तो मामूली शुल्क भरकर इसे ईबीआर में ला सकते हैं। इससे कुछ बचत हर महीने होगी, जो लंबे समय में ज्यादा दिखेगी।
    • किस्त बढ़ने पर बजट गड़बड़ा रहा है तो फिर कर्ज के समय को बढ़वा सकते हैं। कर्ज का समय रिटायरमेंट पर निर्भर होगा जो 60-65 साल की उम्र तक होता है।

    Share:

    अब मिलेगा जबर्दस्त कमाई का मौका, SEBI ने कर दिया ये बड़ा काम

    Mon Aug 8 , 2022
    नई दिल्ली: अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं और ताबड़तोड़ कमाई करने का इंतजार कर रहे हैं. तो आपका यह इंतजार अब खत्म होने वाला है. दरअसल, मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने 28 कंपनियों को अपना आईपीओ लाने के लिए हरी झंडी दिखा दी है. ये कंपनियां बाजार से कुल 45,000 करोड़ रुपये […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    रविवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved