इलाहाबाद। चोरी (Theft), हत्या (Murder) या दुष्कर्म (Rape) सहित किसी भी अपराध (Crime) में कोर्ट (Court) द्वारा सजा (Punishment) सुनाई जाती है। लेकिन दुष्कर्म (Rape) के बाद पीड़िता (Victim) से शादी (Marrige) करने वाले आरोपी (accused) को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Highcourt) ने यह कहते हुए सजा देने से इनकार (Refuse) कर दिया कि यह समाज हित में नहीं होगा।
हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ अपहरण व रेप का केस रद्द कर कहा कि समाज व न्याय हित में संज्ञेय (जघन्य अपराध) व अशमनीय अपराधों में भी समझौता हो सकता है।
कोर्ट ने कहा कि पीड़िता और आरोपी अपने साढ़े चार साल के बेटे के साथ शादीशुदा खुशहाल जीवन जी रहे हैं। ऐसे में पति पर नाबालिग से दुराचार और अपहरण के आरोप का केस चलाना उचित नहीं है। जस्टिस मंजू रानी चौहान की सिंगल बेंच ने कहा कि पति को सजा सुनाई तो समाज हित में नहीं होगी। पीड़िता पत्नी को भारी दिक्कत उठानी पड़ेगी और भविष्य बर्बाद हो जाएगा। केस के बाद दोनों शादी और समझौता कर साथ रह रहे हैं।
पीड़िता ने खुद ही कहा कि उसके मामा ने एफआईआर कराई थी और केस में हाजिर नहीं हो रहे हैं। उनका शादीशुदा जीवन बर्बाद करने पर तुले हैं। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ज्ञान सिंह केस के आधार पर फैसला देते हुए एडीजे बागपत की अदालत में याची राजीव कुमार के खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे की पूरी कार्यवाही को रद्द कर दिया।
कोर्ट ने याची राजीव की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई की। याची के खिलाफ बागपत के दोघट थाने में एफआईआर हुई थी। 25 जून 2015 की पुलिस की चार्जशीट पर कोर्ट ने 30 जुलाई 15 को संज्ञान भी ले लिया था। याची पर नाबालिग का अपहरण कर दुराचार करने का आरोप था।
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